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हाल ही में अटारी-वाघा बॉर्डर के बंद होने के बाद एक चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, अकेले पंजाब में लगभग 83,000 महिलाएं ऐसी हैं जिनका निकाह पाकिस्तान में हुआ है, लेकिन वे पाकिस्तान की नागरिकता न लेकर भारत में ही रह रही हैं और यहीं बच्चों को जन्म दे रही हैं। इन बच्चों को भारतीय नागरिकता भी मिल रही है।
यह मुद्दा इसलिए और भी गंभीर हो जाता है क्योंकि इससे यह संकेत मिलता है कि भारत और पाकिस्तान के बीच ‘रोटी-बेटी’ संबंध अभी भी जारी हैं, जिन पर पहले ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया था।
अगर पंजाब में ही इतनी बड़ी संख्या है, तो पूरे देश में ऐसी महिलाओं की संख्या लाखों में हो सकती है।
यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या इसे जनसंख्या जिहाद की एक साज़िश के रूप में देखा जाना चाहिए? क्या जानबूझकर निकाह के माध्यम से भारत की जनसंख्या संरचना को प्रभावित करने की कोशिश हो रही है?
गौरतलब है कि जब कभी कोई प्रसिद्ध हस्ती, जैसे कि सानिया मिर्जा का पाकिस्तान में निकाह हुआ था, तो इस पर बड़ा सामाजिक और राजनीतिक विवाद हुआ था। लेकिन अब बड़े स्तर पर हो रहे इस घटनाक्रम पर बहुत कम चर्चा हो रही थी।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर मोदी सरकार ने हाल ही में पाकिस्तानी नागरिकों के भारत में रहने के मामलों की समीक्षा न की होती, तो यह सच सामने नहीं आ पाता।
अब मांग उठ रही है कि ऐसे मामलों की गहन जांच हो और जो लोग नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
निष्कर्ष
भारत की सुरक्षा, सामाजिक संतुलन और जनसंख्या संरचना को बनाए रखने के लिए सरकार को ऐसे मुद्दों पर स्पष्ट नीति और कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है।
यह सिर्फ एक राजनीतिक या धार्मिक मुद्दा नहीं है, बल्कि भारत के भविष्य से जुड़ा एक गंभीर सवाल है।