डिजिटल युग में पैसों का लेनदेन (Cash Transaction) पहले से ज्यादा आसान और तेज हो गया है. सरकार ने भी वित्तीय लेनदेन पर नजर रखने के लिए ज्यादातर पेमेंट के लिए डिजिटल ट्रांजैक्शन (Digital Transaction) को अनिवार्य बना दिया है।
किसी से पैसों का ऑनलाइन लेनदेन कर रहे हैं तो आपको सतर्क रहने की जरूरत है ताकि इनकम टैक्स (Income Tax) नोटिस न आ जाए. एक लिमिट से ज्यादा कैश लेनदेन पर इनकम टैक्स विभाग का नोटिस आ सकता है।
आपको बता दें कि बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट, बचत खाता, म्यूचुअल फंड, रियल एस्टेट में अगर कोई बड़ा कैश ट्रांजैक्शन करते है तो इसकी जानकारी संस्था को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को देनी ही होती है. अगर आप भी उन लोगों में से हैं जो डिजिटल की बजाय कैश ट्रांजैक्शन ज्यादा करते हैं तो आप खुद मुसीबत में फस सकते हैं।
क्रेडिट कार्ड बिल पेमेंट– क्रेडिट कार्ड (Credit Card) ने लोगों के लिए भुगतान को आसान और परेशानी मुक्त बना दिया है. हालांकि, यूजर्स को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वे अपने कार्ड बिल का भुगतान करते समय 1 लाख रुपये की सीमा को पार न करें. अगर नकद सीमा पार हो जाती है तो आईटी विभाग आपको नोटिस दे सकता है।
बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट- बैंक एफडी (Bank FD) 10 लाख रुपये तक की नकद जमा की अनुमति देता है. अगर आप 10 लाख रुपये ज्यादा की एफडी करते हैं तो आपको नोटिस मिल सकता है।
रियल एस्टेट- ट्रेडिंग प्रॉपर्टी में काम करते समय व्यक्तियों को इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि 30 लाख रुपये से अधिक का नकद लेनदेन उचित नहीं है. अगर आप 30 लाख रुपये से ज्यादा के प्रॉपर्टी ट्रांजैक्शन कैश में करते हैं तो ये इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की पैनी निगाहों में आ सकता है।
म्यूचुअल फंड/शेयर बाजार- हाल के दिनों में भारत में डीमैट खाताधारकों की संख्या में भारी उछाल देखा गया है. हालांकि, शेयर बाजार में निवेश करने वाले लोगों को पता होना चाहिए कि नकद निवेश की सीमा 10 लाख रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए. अगर कोई सीमा से आगे जाता है तो उस पर आयकर विभाग का ध्यान जा सकता है, जिससे उसका अंतिम इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) खुल सकता है. इसलिए आपको ध्यान रखना चाहिए कि एक साल में शेयर, म्यूचुअल फंड या डिबेंचर्स में 10 लाख रुपये से ज्यादा का पेमेंट कैश में न करें।