ब्यूरो न्यूज़ : उत्तराखंड ब्रॉडकास्ट
भारत की अगली लोकतांत्रिक सरकार के गठन के लिए नागरिक की अहम भूमिका निभाने का समय हैं,लेकिन ऐसे में प्रथम चरण के मतदान संपन्न होने के बाद चुनाव से अधिक चर्चा कम मतदान के कारणों पर हो रहीं हैं,हर बुद्धिजीवी वर्ग,राजनीतिक वर्ग,पत्रकार जगत और नागरिक सभी जगह चर्चा कम मतदान की हो रहीं हैं,सभी के अपने अपने कारण भी हैं।
प्रथम चरण का मतदान जहां जहां हुआ,पिछली सरकार चुने जाने के समय से कम ही हुआ हैं,आखिर क्या सिर्फ़ मतदाता ही इसका कारण हैं हमारी नजर में बिलकुल नहीं।
यदि बात राजनीतिक मंचो कि यदि की जाएं तो बात तो डिजिटल भारत तक ही कई बार हो चुकी लेकिन दुर्भाग्य हैं आज भी जब नागरिक अपनी सरकार चुनने के लिए डिजिटल युग में प्रवेश करता है तो वहां उसे अधूरी जानकारी ही मिलती हैं,दुख तब होता हैं जब चुनाव आयोग की आधिकृत वेबसाइट ही ठीक तरह से अपडेट नहीं होती,दुख तब होता हैं जब अपनी गांव की पिछली सरकार ग्राम पंचायत चुनने वाला मतदाता आज भी अपने देश की सरकार नहीं चुन पाता,दुख तन होता हैं जब चुनाव आयोग भी सिर्फ पोस्टर छाप कर जागरूकता अभियान चलाता हैं और दुख तब होता हैं जब चुनाव आयोग भी वादें 75 % मतदान के2 करता हैं और अंत में धरातल पर मतदान पिछले चुनाव से भी कम हो जाता हैं।
खबर को पुष्टि के लिए दो उदाहरण
मतदाता पहचान संख्या ULT 0299032 जिसे ऑनलाइन चुनाव आयोग की वेबसाइट पर सर्च करने में पता चलता हैं मतदान बूथ संख्या 208 राजकीय प्राथमिक विद्यालय हरिपुर जमन सिंह में पड़ेगा,लेकिन बीएलओ की आवंटित पर्ची के आधार पर पड़ता इंटर कॉलेज हरिपुर जमन सिंह में हैं बात करने पर पता चला हैं कुछ समय पूर्व कुछ बूथ बदले हैं,लेकिन असल में ये बूथ पिछले कुछ समय में नहीं बल्कि विधानसभा चुनाव में भी वोटिंग यहीं हुई,भई सोशल मीडिया में जब पोस्टर छप सकते हैं अभियान चलाए जा सकते हैं काश वेबसाइट भी अपडेट हो सकती थी,भई बूथ अपडेट किए जा सकते थे।
उदाहरण 2:-पिछले ग्राम पंचायत चुनाव में अपने गांव की सरकार चुनने वाला एक युवा मतदाता राजवीर अपने देश की सरकार नहीं चुन पाता आखिर क्यों?
आजादी के इतने दशक बाद भी अमृतकाल के युग में गांव आज भी अपने केंद्र की सरकार से आखिर इतनी दूर क्यों?
आखिर गांव की सरकार चुनने वाला मतदाता केंद्र की सरकार चुनने से न रह जाएं क्या यह जिम्मेदारी चुनाव आयोग की नहीं?
क्या फायदा ऐसे इतने बड़े तंत्र का जो मतदान का प्रतिशत हर संभव प्रयास के बाद भी ना बड़ा पाएं।
खैर अब पछताए क्या जब चिड़िया चुग गई खेत प्रथम चरण का मतदान हो चुका अब दौर आरोप प्रत्यारोप के साथ चुनाव के नतीजों के इंतजार का हैं लेकिन मतदान कम होने की समीक्षा बहुत जरूरी हैं और यह समीक्षा बंद कमरों कार्यालयों कागजों में न होकर धरातल पर हो तो शायद आगामी ग्राम पंचायत नगर निगम और विधानसभा चुनाव में कुछ मतदान बड़े।
क्या फायदा ऐसे डिजिटल युग का जहां सरकार चुनने की जानकारियां ठीक से अपडेट नहीं,अभी *डिजिटल युग से दूर हमारा प्यारा भारत।
राज्य की तमाम खबरों को पढ़ने के लिए जुड़े रहिए उत्तराखंड ब्रॉडकास्ट से,खबरों के लिए संपर्क करें 91+7505446477,919258656798