साहब,मशीन ख़राब हुए डेढ़ माह हो गया,ऐसी लाचार व्यवस्था का जिम्मेदार कौन!मंत्रालय या सचिवालय?
ब्यूरो न्यूज़ उत्तराखंड ब्रॉडकास्ट
हल्द्वानी बेस चिकित्सालय की मशीन को ख़राब हुए लगभग डेढ़ महीने हो गए लेकिन जिम्मेदार अधिकारी और मंत्री को इसकी सुध हैं या नहीं बड़ा सवाल हैं,आखिर एक सिटी स्कैन मशीन को सुधारने में इतना समय क्यों,जबकि हल्द्वानी के बेस अस्पताल में पूरे कुमाऊं भर की आबादी जुड़ी हैं क्योंकि पहाड़ में राज्य सरकार के अस्पताल सिर्फ रेफर सेंटर हैं।
लगभग डेढ़ माह पूर्व खराब हो चुकी इस मशीन को सही होने के लिए 50 हजार का बजट स्वीकृत करने के लिए लगभग 6 बार पत्र लिखें जा चुके हैं,लेकिन देहरादून स्तिथ अधिकारियों के बड़े बड़े कार्यालयों में 6 बार लिखे जा चुके पत्र के बदले अबतक बजट नहीं दिया जा सका यहीं कारण हैं की यह मशीन डेढ़ माह बाद भी अबतक खराब हैं,नागरिक परेशान हैं मजबूर हैं कर्ज लेकर बड़े निजी महंगे अस्पतालों में इलाज करने के लिए शायद अधिकारियों और नेताओ को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता वरना इतना बहुत बड़ा खजाना इस मशीन को राज्य सरकार का नहीं चाहिए।
वर्तमान में डॉ धन सिंह रावत जी स्वास्थ्य मंत्रालय संभाल रहें हैं,उनकी राज्य के नागरिकों और मरीजों के प्रति असेंदनशीलता का प्रत्यक्ष प्रमाण हैं,कुमाऊं के द्वार हल्द्वानी स्तिथ पूरे कुमाऊं के आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों के सहारे बेस अस्पताल की सिटी स्कैन मशीन ठीक नहीं हो पा रहीं,स्वास्थ्य मंत्रालय इनके हाथ में आने के बाद भी राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था के हालात कुछ नहीं बदले,इनके वादे हालांकि हर मंच से खूब सुनाई देते हैं जैसे कहानियों में सपने दादा दादी सुने करते थे कुछ वैसे ही इनके हाल भी हैं,खैर अगर अब भी इस मशीन की सुध लें तो कुछ राहत मिले।
नीति और अधिकार बनाएं जाने के बाद उनका क्रियान्वन बेहतर हो,हर नागरिक के अधिकारों की सुरक्षा हो इसके लिए सचिवालय और अधिकारी वर्ग को जिम्मेदारी दी जाती हैं,इस समय स्वास्थ्य सचिव हैं डॉ आर राजेश कुमार अब ये खराब मशीन की खबर हल्द्वानी से 280 किलोमीटर दूर प्रदेश की अस्थाई राजधानी में उनके पास भी पहुंची या नहीं,क्या सचिव साहब के हाथ में नहीं कि वो इस मशीन को ठीक करवा दें,क्या उनकी जिम्मेदारी नहीं ये मशीन ठीक होनी चाहिए,क्या इसका जवाब उन्हें नहीं देना चाहिए की क्या इस मशीन को ठीक होने में इतना समय नहीं लगना चाहिए,आखिर क्या महीने में एक बार भी जिला मुख्यालयों और प्रदेश के मुख्य अस्पतालों की सुध ले ली जाएं क्या इतना समय निकाल पाना नामुमकिन हैं।
इस संदर्भ में जब फोन पर उनसे बात करने की कोशिश की गई तो उनका नंबर दो बार अलग अलग समय पर भी नहीं उठा,साहब भले भी फोन न उठाइए लेकिन मशीन तो ठीक करवाइए,स्वास्थ्य सचिव महोदय सोशल मीडिया में प्रतिदिन अपन3 कार्यों और निर्णयों को अखबार में छपने के बाद अपलोड करते हैं लेकिन वह अखबार अधिकतर देहरादून या जहां वो दौरे करें वहा के होते हैं,यदि हल्द्वानी के अखबार पर नज़र डालें तो आय दिन खराब मशीन के बारे में छप रहा हैं,वहां से भी संज्ञान लिया का सकता हैं लेकिन संभव तभी हैं जब हम नागरिकों के मौलिक अधिकारों के प्रति गंभीर हो।
अब डेढ़ माह बाद जिम्मेदार लापरवाह मंत्रालय और अधिकारियों को मरीजों/नागरिकों को बताना चाहिए
राज्य में स्वास्थ्य के मौलिक अधिकार के होते हनन का जिम्मेदार कौन हैं,मंत्रालय या सचिवालय?
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