ब्यूरो न्यूज़ उत्तराखंड ब्रॉडकास्ट,रिपोर्ट : कार्तिक उपाध्याय
उत्तराखंड क्रांति दल जिसे इससे जुड़े युवा दल नहीं बल्कि दिल कहकर पुकारा करते हैं और इन दिनों ये दिल दलदल बना हुआ हैं,हालांकि उक्रांद के साथ यह पहली बार नहीं हैं उक्रांद अपनी नीतियों कार्यशैली और शीर्ष की विमुखता के कारण हमेशा ही समय समय पर युवाओं के निशाने में रहा हैं,इन दिनों का दौर भी कुछ वैसा ही चल रहा हैं।
पिछले 1 वर्ष से उत्तराखंड क्रांति दल से जुड़े कुछ पदाधिकारी द्वारा यह देखते हुए कि राज्य की जनता उत्तराखंड क्रांति दल के झंडे पर भरोसा नहीं कर रही है,एक अलग गैर राजनीतिक संगठन मूल निवास भू कानून संघर्ष समन्वयी समिति बनाया क्योंकि राज्य की जनता हमेशा से ही अपनी मांगों के लिए अपने हितों के लिए एक तीसरे विकल्प की तलाश करते आई है,तो मूल निवास भू कानून संघर्ष समिति के आंदोलन से हजारों हजार लोग चंद महीनों में जुड़ गए और यही कारण है कि उत्तराखंड क्रांति दल को यह हजम नहीं हो पाया कि उनके होते हुए आखिर उनकी मांगों पर किसी अन्य बैनर का अधिकार कैसे हो सकता है और उसके लिए उत्तराखंड क्रांति दल की रैलियों से हजारों गुना भीड़ अन्य बैनर में कैसे आ सकती है।
क्योंकि यह उत्तराखंड क्रांति दल के अंदर की लड़ाई थी लेकिन उत्तराखंड क्रांति दल के युवाओं ने अलग संगठन इसलिए ही बनाया था क्योंकि उत्तराखंड क्रांति दल के साथ रहते हुए वह मजबूती से राज्यहित की मांग नहीं उठा पा रहे थे और ना ही सरकार पर दबाव बनाने के लिए इतनी भीड़ उत्तराखंड क्रांति दल के बैनर के साथ जुटा पा रहे थे।
मूल निवास भू कानून संघर्ष समन्वय समिति द्वारा 1 सितंबर को गैरसैंण में मूल निवास स्वाभिमान रैली आयोजन किया जाना है इस बार भी वहां हजारों की संख्या में मूल निवासियों की पहुंचने की उम्मीद है लगाई जा रही है,लेकिन इसी बीच राज्य विरोधी ताकतें फिर से संगठित होने लगी और आंदोलन को कमजोर करने की शुरुआत करने लगी।
उत्तराखंड क्रांति दल जोकि पूर्व में ही इस रैली से किनारा कर चुका था उसका कहना था कि उत्तराखंड क्रांति दल का 1 सितंबर को गैरसैंण में होने वाली रैली से कोई मतलब नहीं है यह पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष के वक्तव्य है जिन्हें राष्ट्रीय अखबारों में भी प्रकाशित किया था,परंतु अचानक कुछ दिन पूर्व फिर एक बार उत्तराखंड क्रांति दल ने आंदोलन को विभाजित करने का प्रयास किया उत्तराखंड क्रांति दल के केंद्रीय मीडिया प्रभारी आशुतोष नेगी ने अपने फेसबुक पेज से यह पोस्ट कर दिया की 1 सितंबर को गैरसैंण में होने वाली रैली उत्तराखंड क्रांति दल के बैनर तले होगी,परंतु मूल निवास भू कानून संघर्ष समिति के संयोजक और उक्रांद के पदाधिकारी मोहित डिमरी लुसुन प्रांजल मनोज आदि ने इसे बिल्कुल नहीं स्वीकारा,की पिछले 1 वर्ष में जो मूल निवासी संगठित हुए हैं वह यूकेडी के कारण विभाजित हो जाए उन्होंने अपने इस्तीफे उत्तराखंड क्रांति दल के शीर्ष को लिख भेजें और उनके साथ कई सदस्यों ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता छोड़ दी।
लेकिन उत्तराखंड क्रांति दल से इस्तीफा देने वालों का सिलसिला अभी भी नहीं थम रहा,उत्तराखंड क्रांति दल तो छोड़िए उसकी छात्र संगठन इकाई यूएसएफ से भी कुमाऊं और गढ़वाल के पदाधिकारीयों ने इस्तीफा दे डाला है,जहां राष्ट्रीय पार्टियों एक तरफ सबसे ज्यादा मेहनत छात्र संगठनों पर करती हैं इंटर कॉलेज तक अपने सदस्य बना देती है ऐसे में क्षेत्रीय पार्टी का छात्र संगठन बिना पदाधिकारी के अब खाली हो चुका है,ये यूकेडी के भीतर सीधा युवा विद्रोह ही तो हैं और जो भी युवा यूकेडी छोड़ रहे हैं उन्हें राज्य की जनता समर्थन दे रही हैं।
उत्तराखंड के लोगों ने हमेशा तीसरे विकल्प को तलाशा है लेकिन उनकी यह तलाश कभी पूरी नहीं हो सकी है लेकिन अब राजनीतिक बुद्धिजीवी वर्गों का मानना है उत्तराखंड क्रांति दल जितना अधिक कमजोर होता जाएगा राज्य में एक तीसरा मजबूत विकल्प सिर्फ इसी कारण से निकल आएगा।
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