इन जांबाज़ युवाओं में शामिल हैं:
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कैडेट वीरेन्द्र सामन्त – 29 उत्तराखंड वाहिनी एनसीसी, देहरादून
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कैडेट मुकुल बंगवाल – 4 उत्तराखंड वाहिनी एनसीसी, पौड़ी
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कैडेट सचिन कुमार – 3 उत्तराखंड वाहिनी एनसीसी, उत्तरकाशी
इन तीनों कैडेट्स ने न केवल अपने व्यक्तिगत साहस और दृढ़ता का परिचय दिया, बल्कि यह भी सिद्ध कर दिया कि यदि इरादे मजबूत हों, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता। पर्वतारोहण के इस ऐतिहासिक अभियान में उन्होंने बर्फीले तूफानों, ऑक्सीजन की कमी और शारीरिक-मानसिक थकावट जैसी विपरीत परिस्थितियों का डटकर सामना किया।
कैडेट वीरेन्द्र सामन्त ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा,
“यह हमारी नहीं, हर उस युवा की जीत है जो सपने देखता है। हमने कठिन रास्ते तय किए लेकिन विश्वास बना रहा – अपने आप पर, अपनी टीम पर और अपने लक्ष्य पर।”
यह पर्वतारोहण अभियान राष्ट्रीय कैडेट कोर द्वारा आयोजित किया गया था, जिसका उद्देश्य युवाओं को साहसिक गतिविधियों, आत्मनिर्भरता और नेतृत्व कौशल की ओर प्रेरित करना है।
एनसीसी के अपर महानिदेशक, मेजर जनरल रोहन आनंद, सेना मेडल ने इन कैडेट्स की सराहना करते हुए कहा,
“उन्होंने जो किया है, वह एक पूरी पीढ़ी को प्रेरित करेगा। यह हमारे युवाओं को दिखाएगा कि कैसे वे अपने डर को पार करके असाधारण ऊंचाइयां छू सकते हैं। यह सिर्फ एक चढ़ाई नहीं, बल्कि भारत की युवा शक्ति की जीत है।”
इस अभियान की सफलता में अनुभवी पर्वतारोहियों, प्रशिक्षकों, एनसीसी मार्गदर्शकों, उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड, भारतीय सेना की पर्वतारोहण टीम और स्थानीय संगठनों का अहम योगदान रहा।
राष्ट्रीय गौरव की इस उपलब्धि का असर सिर्फ उत्तराखंड तक सीमित नहीं रहेगा। ये तीनों कैडेट्स अब आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत बनेंगे। जब ये युवा वीर वापस अपने राज्य लौटेंगे, तो उनका स्वागत एक सच्चे नायक के रूप में किया जाएगा।
निष्कर्षतः, यह सफलता ना केवल इन कैडेट्स की, बल्कि समूचे राष्ट्र की है। यह साबित करता है कि अनुशासन, टीमवर्क और उत्कृष्टता के मूल्यों पर चलकर कोई भी सपना साकार किया जा सकता है।