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जिला प्रशासन ने की भू-आवंटन घोटाले पर सीबीसीआईडी और विजिलेंस जांच की सिफारिश
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दोषी अधिकारियों को जेल भेजने की तैयारी
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जनता दर्शन में सामने आए चार नए केस
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अधीक्षण अभियंता का वाहन जब्त, जिम्मेदारों की जवाबदेही तय
देहरादून : टिहरी बांध से विस्थापित परिवारों को पुनर्वास के तहत दिए गए आवासीय भू-खण्डों में बड़ा घोटाला सामने आया है। जिलाधिकारी सविन बंसल को जनता दर्शन में लगातार मिल रही शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए अब जिला प्रशासन ने सख्त रुख अपनाया है।
जिलाधिकारी ने टिहरी बांध पुनर्वास विभाग द्वारा किए गए भू-आवंटन की सीबीसीआईडी और विजिलेंस जांच की संस्तुति सचिव सिंचाई विभाग को भेज दी है। प्रशासन का कहना है कि दोषियों को हर हाल में सजा दिलाई जाएगी और फ्रॉड में संलिप्त अफसरों व कर्मचारियों को बख्शा नहीं जाएगा।
भू-आवंटन में धांधली के प्रमुख मामले:
1. पुलमा देवी बनाम राजरानी विवाद:
पुलमा देवी ने वर्ष 2007 में खसरा नं-399च की जमीन खरीदी थी, लेकिन राजरानी नाम की महिला ने उस पर कब्जा कर लिया। जांच में पाया गया कि उसी प्लॉट को दो अलग-अलग व्यक्तियों को दो बार आवंटित किया गया। बाद में एक आवंटन को निरस्त करना पड़ा।
2. सुमेर चन्द, हेमन्त और शैलेन्द्र का मामला:
ग्राम अटकफार्म में भूखण्ड संख्या 28 और 29 की जमीन पर आवंटियों का कब्जा नहीं है, जबकि कुन्दन लाल जोशी नामक व्यक्ति का कब्जा मिला। मौके पर विवाद और भूमि पर दोहरी प्रविष्टियां पाई गईं।
3. अजय चौहान की शिकायत:
विस्थापित इरशाद अहमद को वर्ष 2001 में बी-205 नंबर भूखण्ड दिया गया, लेकिन बाद में वही भूखण्ड वर्ष 2005 में फतरू नामक व्यक्ति को पुनः आवंटित कर दिया गया। बाद में प्रशासन को फतरू का आवंटन निरस्त करना पड़ा।
प्रशासन की कड़ी कार्रवाई:
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अधीक्षण अभियंता (पुनर्वास) का वाहन प्रशासन ने जब्त किया।
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संबंधित अधिकारियों को भूमिधरी प्रक्रिया की दोहरी प्रविष्टियों के लिए जिम्मेदार ठहराया गया।
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कई पुराने विवादित प्रकरणों को खंगालते हुए अब विशेष जांच दल या समकक्ष एजेंसी से गहन जांच की सिफारिश की गई है।
प्रभावितों को मिलेगा न्याय:
जिलाधिकारी सविन बंसल ने कहा कि,
“हमारा उद्देश्य सिर्फ जांच कराना नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि हर पीड़ित विस्थापित को उसका हक मिले और कोई भी भ्रष्ट अधिकारी या कर्मचारी बच न पाए।”
यह घोटाला सिर्फ एक प्रशासनिक चूक नहीं बल्कि वर्षों से चली आ रही लैण्डफ्रॉड की संगठित साजिश है, जिसमें उच्च स्तर के अधिकारियों की संलिप्तता भी सामने आ रही है। जिला प्रशासन की यह सख्त कार्यवाही न सिर्फ विस्थापितों को राहत देगी, बल्कि भविष्य में होने वाली ऐसी गड़बड़ियों पर भी लगाम लगाएगी।
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