देहरादून। उत्तराखंड की आपदा की कठिन घड़ी में श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय (SGRR University) ने सामाजिक जिम्मेदारी निभाते हुए सहस्त्रधारा क्षेत्र में ‘सांझा चूल्हा’ की शुरुआत की। इस पहल का उद्देश्य आपदा प्रभावित परिवारों को ताजा भोजन उपलब्ध कराना है।
कुलपति ने दिखाया हरी झंडी, जरूरतमंदों तक पहुंचा भोजन
गुरुवार को विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. (डॉ.) कुमुद सकलानी ने खाद्य सामग्री से लदे वाहनों को हरी झंडी दिखाकर राहत कार्य की औपचारिक शुरुआत की।
इस दौरान प्रभावित परिवारों को भोजन पैकेट के साथ अनाज, दवाइयाँ और दैनिक आवश्यक वस्तुएँ भी उपलब्ध कराई गईं।
समाज के लिए प्रेरणा बनी मानवीय पहल
एसजीआरआर विश्वविद्यालय के प्रेसीडेंट श्रीमहंत देवेन्द्र दास जी महाराज ने कहा—
“प्राकृतिक आपदा की घड़ी में यह हमारी जिम्मेदारी है कि कोई भी प्रभावित परिवार खुद को अकेला महसूस न करे। समाज को एक-दूसरे का सहारा बनना चाहिए।”
कई गांवों में पहुंचे भोजन पैकेट
‘सांझा चूल्हा’ के माध्यम से अधोईवाला, बगड़ा धोरन, काडलीगाड़, भंडारा और सेरा सहित कई गांवों में जरूरतमंदों तक भोजन पहुँचाया गया।
इस सेवा का लाभ सीएचसी रायपुर की टीम, स्थानीय स्वयंसेवकों और दिहाड़ी मजदूरों ने भी लिया।
पहले भी निभाई है अग्रणी भूमिका
यह पहला अवसर नहीं है जब एसजीआरआर विश्वविद्यालय ने राहत कार्यों में योगदान दिया है।
इससे पहले भी धराली (उत्तरकाशी), थराली (चमोली) और बसुकेदार (रुद्रप्रयाग) आपदा प्रभावित क्षेत्रों में विश्वविद्यालय और श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल ने राहत सामग्री और चिकित्सीय सहयोग उपलब्ध कराया था।
महिलाओं ने की पहल की सराहना
स्थानीय महिलाओं ने कहा कि विश्वविद्यालय ने घर जैसा ताजा भोजन परोसकर राहत एवं बचाव की नई मिसाल पेश की है।
उनका कहना था कि—
“कच्चे राशन या सूखी खाद्य सामग्री के बजाय तैयार भोजन इस कठिन समय में जीवनदायिनी साबित हो रहा है। यह सेवा सिर्फ पेट भरने तक सीमित नहीं, बल्कि मानवीय करुणा और संवेदनशीलता का प्रतीक है।”
शिक्षा और सेवा का संगम
एसजीआरआर विश्वविद्यालय की यह पहल प्रभावित परिवारों के लिए नई उम्मीद और विश्वास की ज्योति बनकर आई है।
यह उदाहरण आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा है कि संवेदनशीलता ही समाज को सशक्त बनाती है।
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