राज्य गठन के समय उम्मीद थी कि अलग राज्य बनने के बाद विकास की गति तेज़ होगी, लेकिन हकीकत आज भी वैसी ही है जैसी अविभाजित उत्तर प्रदेश के समय थी। सरकारें और मुख्यमंत्री बदलते रहे, पर हल्द्वानी की बड़ी योजनाएं फाइलों से आगे नहीं बढ़ पाईं।
रिंग रोड प्रोजेक्ट – अब तक कागज़ों में कैद
साल 2017 में तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने शहर के बाहर रिंग रोड बनाने की घोषणा की थी। करीब 600 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली इस सड़क से हल्द्वानी को जाम से राहत मिलने की उम्मीद थी।
रिंग रोड को भाखड़ा–कमलुवागांजा–बेलबाबा मंदिर–रामपुर रोड हाईवे से जोड़ने की योजना थी। लोक निर्माण विभाग ने इसके पांच संभावित रूट तय किए थे, जिनकी लंबाई 12 से 18 किलोमीटर तक थी। लेकिन राजनीतिक मतभेदों और किसानों के विरोध के कारण यह परियोजना अब तक जमीन पर नहीं उतर सकी है।
रानीबाग–नैनीताल रोपवे – सपना अब भी अधूरा
2018 में ट्रैफिक लोड कम करने के लिए रानीबाग से नैनीताल तक रोपवे निर्माण की योजना तैयार की गई थी। पर्यटन विकास परिषद और कुमाऊं मंडल विकास निगम ने संयुक्त सर्वे के बाद लगभग 500 करोड़ रुपये की लागत से यह प्रस्ताव तैयार किया।
रूट में रानीबाग, डोलमार, ज्योलीकोट और हनुमानगढ़ी पर स्टेशन बनाने थे। यहां होटल, रेस्टोरेंट और मल्टीलेवल पार्किंग की भी योजना थी। छह साल बीत जाने के बाद भी यह परियोजना सर्वे और फाइलों तक ही सीमित है।
गौलापार चिड़ियाघर – डीपीआर के इंतज़ार में परियोजना
गौलापार चिड़ियाघर परियोजना को वर्ष 2015 में सैद्धांतिक मंजूरी मिली थी। लगभग 412 हेक्टेयर भूमि वन विभाग को आवंटित की गई और केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण से सशर्त अनुमति भी मिल गई। यहां वन्यजीव अस्पताल और ब्रीडिंग सेंटर खोलने की योजना थी।
लेकिन हैरानी की बात है कि आज तक इस परियोजना की डीपीआर (विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) ही तैयार नहीं हुई, जिसके चलते काम ठप है।
आईएसबीटी प्रोजेक्ट – एक दशक से अटका सपना
अंतरराज्यीय बस टर्मिनल (ISBT) की मंजूरी वर्ष 2014 में मिली थी। 2016 में आधारशिला भी रखी गई, लेकिन 2017 में निर्माण स्थल पर मानव कंकाल मिलने के बाद काम रोक दिया गया। बाद में सरकार ने स्थान बदलकर ओपन यूनिवर्सिटी के पास आईएसबीटी बनाने का प्रस्ताव दिया, मगर यह भी आगे नहीं बढ़ा।
आज भी हल्द्वानी का बस अड्डा शहर के बीचोंबीच है, जिससे जाम की समस्या लगातार बढ़ रही है।
नमो भवन – नींव रखी, निर्माण अधूरा
नमो भवन परियोजना के तहत पुराने तहसील भवन के स्थान पर एक आधुनिक मल्टीफंक्शनल भवन बनाने की योजना है। इसके लिए 350 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि स्वीकृत की गई है।
इस भवन में सिटी मजिस्ट्रेट, एसडीएम, तहसीलदार, कोषागार, जिला विकास प्राधिकरण सहित कई सरकारी कार्यालयों को एक ही परिसर में लाने का प्रस्ताव है। हालांकि टेंडर प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, लेकिन अब तक निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ है।
प्रशासन की सफाई
जिलाधिकारी नैनीताल ललित मोहन रयाल ने बताया कि –
“जनहित से जुड़ी सभी विकास योजनाओं को लेकर संबंधित विभागों और कार्यदायी संस्थाओं की बैठक जल्द आयोजित की जाएगी। रिंग रोड, रोपवे, चिड़ियाघर, आईएसबीटी और नमो भवन की प्रगति पर विस्तृत रिपोर्ट ली जाएगी। जिन परियोजनाओं में दिक्कतें हैं, उन्हें दूर कराया जाएगा।”
निष्कर्ष
हल्द्वानी की ये पांच बड़ी योजनाएं लंबे समय से अधूरी हैं। अब जब चुनाव की आहट सुनाई देने लगी है, जनता को इंतज़ार है कि क्या इन योजनाओं का सपना साकार होगा या एक बार फिर यह मुद्दे चुनावी घोषणाओं तक सीमित रह जाएंगे।












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