हिमालयी राज्यों की श्रेणी में अरुणाचल प्रदेश पहले, उत्तराखंड दूसरे, और मेघालय तीसरे स्थान पर रहा है।
वित्तीय अनुशासन में उत्तराखंड का उत्कृष्ट प्रदर्शन
केंद्रीय वित्त मंत्रालय के अधीन कार्यरत AJNIFM हर वर्ष राज्यों की वित्तीय स्थिति, अनुशासन, नीतियों और संसाधन प्रबंधन का मूल्यांकन करता है। नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, उत्तराखंड ने राजकोषीय समायोजन, संसाधन जुटाने और वित्तीय अनुशासन के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है।
राज्य की सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) वर्ष 2023-24 में ₹3,32,998 करोड़ तक पहुंच गई, जो पिछले वर्ष की तुलना में 14% की वृद्धि है। वहीं प्रति व्यक्ति आय ₹2,46,178 दर्ज की गई। राज्य सरकार ने शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र पर अपने कुल व्यय का 18% हिस्सा खर्च किया, जो सामाजिक विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
राजस्व में रिकॉर्ड वृद्धि, घाटा हुआ अधिशेष में परिवर्तित
कोविड-19 से पहले ही राज्य ने वित्तीय अनुशासन की मजबूत नींव रख दी थी। वित्त वर्ष 2020 में राज्य ने अपने कुल राजस्व का आधा हिस्सा स्वयं के संसाधनों से अर्जित किया था, जो अब और बढ़ गया है।
कर संग्रह के मोर्चे पर भी उत्तराखंड ने बेहतरीन प्रदर्शन किया है। रिपोर्ट के अनुसार—
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कर राजस्व 2020 से अब तक 14% की CAGR दर से बढ़ा है।
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जीएसटी में 14%, पेट्रोलियम और शराब से 9%, स्टांप एवं पंजीकरण शुल्क से 23%, और राज्य उत्पाद शुल्क से 10% की वृद्धि दर्ज की गई है।
राज्य ने राजस्व घाटे को अधिशेष में बदलने में बड़ी सफलता हासिल की। जहां 2020 तक घाटे की स्थिति थी, वहीं वित्त वर्ष 2021 में ₹1,113 करोड़ का अधिशेष प्राप्त हुआ, जो 2023 में बढ़कर ₹5,310 करोड़ तक पहुंच गया। इसी के साथ, राज्य का राजकोषीय घाटा 7,657 करोड़ से घटकर 2,949 करोड़ रुपये पर आ गया।
वेतन-पेंशन पर खर्च में आई कमी
रिपोर्ट में बताया गया है कि वित्त वर्ष 2024 तक वेतन, पेंशन और ब्याज भुगतान पर राज्य का व्यय कुल राजस्व व्यय का 58% रह गया है, जो 2019 के 66.5% से कम है। इससे स्पष्ट है कि राज्य की वित्तीय प्राथमिकताएं अब विकासोन्मुखी खर्चों की ओर स्थानांतरित हो रही हैं।
वित्त सचिव ने जताया संतोष
वित्त सचिव दिलीप जावलकर ने कहा कि,
“प्रदेश सरकार वित्तीय प्रबंधन में पारदर्शिता और सुधार के लिए लगातार काम कर रही है। AJNIFM की रिपोर्ट में हिमालयी राज्यों में दूसरा स्थान मिलना हमारे वित्तीय अनुशासन और नीति की सफलता का प्रमाण है।”
वित्तीय स्थिरता और अनुशासन के इस प्रदर्शन से यह स्पष्ट होता है कि उत्तराखंड न केवल हिमालयी राज्यों में बल्कि पूरे देश में एक सशक्त और जिम्मेदार आर्थिक राज्य के रूप में उभर रहा है।












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