थराली।
सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) के प्रशिक्षण केंद्र ग्वालदम मे पासिंग आउट परेड का आयोजन किया गया।इस मौके पर 506 नव आरक्षियों को देश की रक्षा की शपथ दिलाई गई। परेड़ को देखने के लिए काफी बढ़ी तादाद में लोग मौजूद थे।
तय कार्यक्रम के अनुसार, शुक्रवार को एसएसबी ट्रेनिंग सेंटर ग्वालदम के परेड़ मैदान में पासिंग आउट परेड का आयोजन किया गया।
प्रात: 9.30 बजें मार्कर्स काल के बाद 9.46 पर परेड के मुख्य अतिथि के द्वारा परेड़ ग्राउंड में शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद 9.51 पर परेड शुरू हुई,जिसका निरीक्षण बतौर मुख्य अतिथि एसएसबी के उप महानिरीक्षक अनिल कुमार शर्मा के द्वारा एसएसबी के अन्य अधिकारियों के साथ किया।इस परेड में कुल 506 नव आरक्षियों ने भाग लिया। इसके बाद उप महानिरीक्षक शर्मा ने सभी आरक्षियों को देश की सुरक्षा के लिए अपना सर्वस्व समर्पित करने की शपथ दिलाई।
इस मौके पर उन्होंने प्रशिक्षु से आरक्षी बनें जवानों एवं दीक्षांत समारोह में सिरकत कर रहे लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि एसएसबी की स्थापना 1963 में देश की बाही सुरक्षा के साथ ही आंतरिक सुरक्षा एवं आपदा प्रबंधन के लिए की गई थी।
2001 में भारत-नेपाल एवं 2004 में भारत-भूटान की खूली अंतरराष्ट्रीय सीमा की चौकसी का जिम्मा एसएसबी को सौपा गया हैं।जिसका बल बखूबी निर्वहन भी कर रहा है। इसके अलावा एसएसबी के द्वारा नक्सल प्रभावित बिहार,छत्तीसगढ़ एवं झारखंड में नक्सलियों के खिलाफ कई बड़े अभियानों को बखूबी अंजाम देते हुए इतिहास रचा हुआ हैं।
कहा कि एसएसबी की स्थापना के बाद से ही उसके द्वारा काफी अधिक गौरवशाली कार्य किए गए हैं जो कि इतिहास में दर्ज हो चुके हैं।उन्होंने नव आरक्षियों का आव्हान करते हुए कहा कि 44 सप्ताह के दौरान उन्हें जो कठिन प्रशिक्षण दिया गया हैं वह आने वाले समय में उनके लिए काफी अधिक कारगर साबित होगा।
उप महानिरीक्षक शर्मा ने प्रशिक्षण के दौरान युद्धाभ्यास, जंगल युद्धकला, सामूहिक व्यायाम, एवं अन्य विधाओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले प्रतिभागियों को पुरस्कृत भी किया। इस दौरान जवानों ने अपने काफी अधिक आकृष्क कर्त्तव्यों का भी प्रर्दशन किया। इस अवसर पर थराली।सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) के प्रशिक्षण केंद्र ग्वालदम मे पासिंग आउट परेड का आयोजन किया गया।इस मौके पर 506 नव आरक्षियों को देश की रक्षा की शपथ दिलाई गई। परेड़ को देखने के लिए काफी बढ़ी तादाद में लोग मौजूद थे।