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मुख्य बिंदु:
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वायरल वीडियो में नजर आए अपर सचिव अरुणेंद्र सिंह थप्पड़ मारने की कोशिश करते हुए
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दरोगा हर्ष अरोड़ा से मौके पर हुई तीखी बहस, नतीजतन लाइन हाजिर
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100 करोड़ की आय से अधिक संपत्ति के पहले से ही हैं गंभीर आरोप
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कोर्ट के आदेश पर अब नई जांच के घेरे में आए चौहान
पूरी खबर:
उत्तराखंड शासन के अपर सचिव (वित्त) अरुणेंद्र सिंह चौहान एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो में उन्हें देहरादून के सुद्धोवाला क्षेत्र में एक व्यक्ति पर थप्पड़ मारने की कोशिश की हालांकि, संबंधित व्यक्ति ने समय रहते उनका हाथ पकड़ लिया, जिससे मामला और गंभीर हो गया।
जानकारी के अनुसार, दरोगा विवाद की सूचना मिलने पर मौके पर पहुंचे थे। उन्होंने चौहान से उनके बर्ताव को लेकर सवाल किए कि इतने बड़े पद पर रहते हुए ऐसी हरकत शोभा नहीं देती। लेकिन बहस इतनी बढ़ गई कि चौहान ने मुख्य सचिव, डीजीपी और वित्त सचिव से शिकायत कर दी, और नतीजतन दरोगा हर्ष अरोड़ा को लाइन हाजिर कर दिया गया।
पूरा मामला पंडित दीनदयाल उपाध्याय वित्तीय प्रशासन, प्रशिक्षण एवं अनुसंधान केंद्र (PDUTFRA), सुद्धोवाला से जुड़ा है। आरोप है कि संस्थान की तारबाड़ काटे जाने और निर्माणाधीन दीवार को गिराए जाने को लेकर विवाद हुआ। एक पक्ष यह भी कह रहा है कि निजी मार्ग को अवरुद्ध करते हुए दीवार खड़ी की जा रही थी, जिसके चलते स्थानीय लोगों में नाराजगी फैल गई।
यह मामला इसलिए भी संवेदनशील बन गया है क्योंकि अरुणेंद्र सिंह चौहान पर पहले से ही 100 करोड़ रुपये से अधिक की अघोषित संपत्ति अर्जित करने के आरोप लगे हैं। वर्ष 2022 में RTI कार्यकर्ता सीमा भट्ट ने इस मामले में राष्ट्रपति और सीबीआई तक शिकायत दर्ज करवाई थी। सीबीआई ने शासन से जांच की अनुमति मांगी थी, लेकिन सरकार की ओर से कोई संज्ञान नहीं लिया गया।
अब, 16 अप्रैल को कोर्ट के आदेश के तहत जमीन से जुड़े एक अन्य प्रकरण में अपर सचिव चौहान के खिलाफ नई जांच शुरू होने जा रही है। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सैय्यद गुफरान द्वारा जारी इस आदेश में चौहान सहित अन्य अधिकारियों के नाम भी शामिल हैं। शिकायत श्री श्री 1008 नारायण स्वामी चैरिटेबल ट्रस्ट के ट्रस्टी मनीष वर्मा द्वारा दर्ज कराई गई है।
प्रश्न यह उठता है कि इतने गंभीर आरोपों के बावजूद आखिर शासन और सरकार अब तक निष्पक्ष जांच से क्यों बच रही है? क्या एक अधिकारी के पद और प्रभाव के सामने कानून और जवाबदेही का सवाल बौना पड़ता है?
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