आयुर्वेद विवि (ayurved vishwavidyalay) पिछले कई सालों से वित्तीय अनियमितताओं, भ्रष्टाचार, नियुक्तियों में गड़बड़ियों के लिए चर्चाओं में है। पिछले साल अगस्त में अपर सचिव राजेंद्र सिंह (rajendra singh) ने विवि के कुलसचिव से बिंदुवार सभी आरोपों की जांच रिपोर्ट मांगी थी। अब मामले में अपर सचिव राजेंद्र सिंह (rajendra singh) ने अपर सचिव कार्मिक एसएस वल्दिया की अध्यक्षता में चार सदस्यीय जांच समिति गठित कर दी है।
इस जांच समिति में अपर सचिव वित्त अमिता जोशी, संयुक्त निदेशक आयुर्वेदिक एवं यूनानी कृष्ण सिंह (Krishna Singh) नपलच्याल और ऑडिट अधिकारी रजत मेहरा (Rajat Mehra) भी सदस्य होंगे। उन्होंने समिति को निर्देश दिए हैं कि वह 15 दिन के भीतर अपनी जांच रिपोर्ट शासन को उपलब्ध कराएं।
इस तरह की गड़बड़ियों के आरोप योग अनुदेशकों के पदों पर जारी रोस्टर को बदलने, माइक्रोबायोलॉजिस्ट (microbiologist) के पदों पर भर्ती में नियमों का अनुपालन न करने, बायोमेडिकल (biomedical) संकाय व संस्कृत में असिस्टेंट प्रोफेसर (assistant professor) एवं पंचकर्म सहायक के पदों पर विज्ञप्ति प्रकाशित करने और फिर रद्द करने, विवि में पद न होते हुए भी संस्कृत शिक्षकों को प्रमोशन एवं एसीपी (ACP) का भुगतान करने, बिना शासन की अनुमति बार-बार विवि की ओर से विभिन्न पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन निकालने और रोक लगाने, विभिन्न पदों पर भर्ती के लिए विवि (Vishwa vidyalaya) की ओर से गठित समितियों के गठन की विस्तृत सूचना शासन को न देने के साथ ही पीआरडी (PRD) के माध्यम से 60 से अधिक युवाओं को भर्ती करने का आरोप है।
–पूर्व कुलपति, कुलसचिव (purv kulpati and kul sachiv) भी लपेटे में
आयुर्वेद विवि में वर्ष 2017 से 2022 के बीच विवि में पूर्व कुलपति और कुलसचिव जैसे महत्वपूर्ण पदों पर सेवाएं देने वाले अधिकारी भी इस जांच की जद में आ सकते हैं।
-डॉ हरक (Dr harak Singh) को भी पड़ सकता फरक
आयुर्वेद विश्वविद्यालय में शुरू हुई जांच की आंच पांच साल तक विभाग के मंत्री रहे डॉ. हरक (doctor harak singh) सिंह रावत तक भी पहुंच सकती है। सूत्रों के मुताबिक, उनके कार्यकाल में विभाग में तमाम नियुक्तियां हुईं। आयुर्वेद विवि में भी उनके कार्यकाल में नियुक्तियां हुई हैं। अब यह जांच रिपोर्ट आने के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा कि कब कौन सी भर्ती सही हुई कौन सी नियमों के विपरीत।