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देहरादून, उत्तराखंड के देहरादून जिले में जिला प्रशासन ने एक और बैंक पर शिकंजा कस दिया है। सीएसएल फाइनेंस लिमिटेड और टाटा एआईए इंश्योरेंस कंपनी द्वारा बीमित ऋण के बावजूद विधवा महिला प्रिया को बीमा क्लेम और ऋण माफी देने से इंकार करने पर जिलाधिकारी सविन बंसल ने बैंक प्रबंधक पर ₹6.50 लाख की वसूली प्रमाण पत्र (RC) जारी कर दी है।
विधवा प्रिया, जो अपने चार बेटियों के साथ आर्थिक तंगी में जीवन गुजार रही है, बीते एक वर्ष से न्याय के लिए भटक रही थी। उनके पति विकास कुमार की मृत्यु 12 जुलाई 2024 को हो गई थी। उन्होंने जीवनकाल में 6.50 लाख रुपये का गृह ऋण लिया था, जिसमें बैंक की ओर से बीमा करवाया गया था। बीमा की शर्तों के अनुसार, कर्ज की राशि को मृत्यु के पश्चात माफ किया जाना था, लेकिन न तो बैंक और न ही इंश्योरेंस कंपनी ने इसे मान्यता दी।
जिलाधिकारी का सख्त रुख:
जैसे ही यह मामला डीएम सविन बंसल के संज्ञान में आया, उन्होंने तत्काल प्रभाव से बैंक प्रबंधक की RC काटते हुए आदेश जारी किया कि तय समयसीमा में यह राशि जमा की जाए, अन्यथा बैंक को सील कर उसकी संपत्ति नीलाम की जाएगी।
पहले भी लिया कड़ा एक्शन:
इससे पहले भी जिले में ऐसा ही एक मामला शिवानी गुप्ता का सामने आया था, जिसमें डीएम द्वारा 15.50 लाख रुपये की RC काटकर बैंक को सील कर दिया गया था। बाद में बैंक ने माफी मांगते हुए पीड़िता के घर जाकर उसके दस्तावेज लौटाए थे।
प्रशासन का नया रूप:
जिला प्रशासन, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की कार्यशैली से प्रेरणा लेते हुए, अब सामाजिक न्याय को प्राथमिकता दे रहा है। कमजोर, असहाय और शोषित वर्गों के लिए प्रशासन का यह सख्त रुख जनमानस के बीच सराहना का कारण बन रहा है।
फरियादी का बयान:
प्रिया ने बताया, “मेरे पति ने बैंक के कहने पर बीमा करवाया, सभी मेडिकल जांच पूरी की गईं, प्रीमियम भी काटा गया। लेकिन जब दुर्घटनावश उनकी मृत्यु हुई, तब बैंक ने पूरी तरह पल्ला झाड़ लिया। मैं न्याय के लिए एक साल से दर-दर भटक रही थी।”
निष्कर्ष:
यह घटना सिर्फ एक महिला का मामला नहीं, बल्कि बैंक और बीमा कंपनियों की लापरवाही का बड़ा उदाहरण है। जिला प्रशासन की तत्परता और सख्त कदम यह दिखाते हैं कि अब पीड़ितों की आवाज को अनसुना करना आसान नहीं रहेगा।
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