देहरादून: देहरादून के सहसपुर ब्लॉक अंतर्गत मिसराज पट्टी के सुदूरवर्ती गांव बटोली को वर्षों पुरानी समस्याओं से आखिरकार राहत मिल गई है। जिलाधिकारी सविन बंसल के संवेदनशील और त्वरित प्रशासनिक निर्णय से गांव की लो वोल्टेज और पेयजल संकट का स्थायी समाधान सुनिश्चित हो गया है।
विद्युत आपूर्ति के लिए स्थायी समाधान, पेयजल योजना को मिली मंजूरी
बटोली गांव की विद्युत लाइन जंगल के बीच से गुजरने के कारण बार-बार बाधित होती थी। डीएम के निर्देश पर अब इसका स्थायी समाधान किया जा रहा है। साथ ही, छोटी पाइपलाइन के कारण पेयजल आपूर्ति में भी समस्या आ रही थी। इस समस्या के निवारण के लिए 3.79 लाख रुपये की धनराशि पेयजल संसाधन विकास एवं निर्माण शाखा को जारी कर दी गई है।
एक सप्ताह में वादे की पूर्ति, युद्धस्तर पर कार्य के निर्देश
डीएम सविन बंसल ने अपने दौरे के दौरान ग्रामीणों से किया गया वादा मात्र एक सप्ताह में पूरा कर दिखाया। कार्यदायी एजेंसियों को युद्धस्तर पर कार्य प्रारंभ करने और कार्य पूर्ण होने के उपरांत जीओ टैग फोटोग्राफ सहित उपयोगिता प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं।
रास्ता निर्माण से लेकर हेलिपैड तक: प्रशासन हर मोर्चे पर सक्रिय
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अतिवृष्टि से बटोली का संपर्क मार्ग पूरी तरह से टूट गया था।
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डीएम के निर्देश पर रातोंरात वैकल्पिक मार्ग तैयार किया गया।
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24×7 मशीनरी और मैनपावर तैनात कर रास्ता सुचारू रखने की व्यवस्था की गई।
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अस्थायी हेलिपैड निर्माण के लिए भूमि चयन की कार्यवाही पूर्ण कर ली गई है।
स्वास्थ्य शिविर और किराया सहायता भी मौके पर ही
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प्रभावित गांव में स्वास्थ्य जांच शिविर आयोजित किया गया।
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प्रत्येक प्रभावित परिवार को 4-4 हजार रुपये प्रति माह की दर से तीन महीने का एडवांस मकान किराया भी मौके पर वितरित किया गया।
“प्रशासन जनता के द्वार” की जीवंत मिसाल
बटोली गांव में जिलाधिकारी सविन बंसल का दौरा सिर्फ औपचारिकता नहीं बल्कि संवेदनशील प्रशासन की प्रतिबद्धता का परिचायक साबित हुआ है। उन्होंने मौके पर ही राहत कार्य सुनिश्चित कर, जनविश्वास को मजबूत किया।
निष्कर्ष:
बटोली गांव के लिए डीएम सविन बंसल की पहल एक मिसाल है, जहां प्रशासन ने सिर्फ घोषणा नहीं की बल्कि उस पर त्वरित अमल भी किया। यह उदाहरण उत्तराखंड के अन्य आपदाग्रस्त क्षेत्रों के लिए भी एक प्रेरणा है।
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