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विशेषज्ञों ने आपातकालीन स्थितियों में जीवन रक्षक तकनीकों की दी महत्वपूर्ण जानकारी
देहरादून। श्री गुरु राम राय इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एंड हेल्थ साइंसेज एवं श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के संयुक्त तत्वावधान में गुरुवार को सीपीआर (कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन) एवं कार्डियक लाइफ सपोर्ट पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का उद्देश्य चिकित्सा विद्यार्थियों और चिकित्सकों को आपातकालीन परिस्थितियों में जीवनरक्षक तकनीकों का व्यावहारिक प्रशिक्षण देना था।
कार्यक्रम का उद्घाटन संस्थान के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. मनोज गुप्ता, प्राचार्य डॉ. अशोक नायक, वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. पुनीत ओहरी सहित अन्य विशेषज्ञों द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ किया गया।
बीएलएस व एसीएलएस की अनिवार्यता पर बल
कार्यशाला के दौरान डॉ. अंजलि चौधरी ने बेसिक लाइफ सपोर्ट (BLS) की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए बताया कि किसी भी सार्वजनिक स्थान पर व्यक्ति के अचानक बेहोश हो जाने या हृदयगति रुकने की स्थिति में त्वरित प्रतिक्रिया कैसे दी जाए, यह जानना सभी के लिए अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने बीएलएस प्रशिक्षण को आम नागरिकों के लिए भी जरूरी बताया।
डॉ. मनोज गुप्ता ने कहा, “आज के दौर में एडवांस कार्डियक लाइफ सपोर्ट (ACLS) और बीएलएस की जानकारी हर स्वास्थ्यकर्मी के लिए अनिवार्य है।” वहीं डॉ. अशोक नायक ने चिकित्सा शिक्षा में इस तरह की कार्यशालाओं की उपयोगिता को व्यावहारिक दक्षता की दृष्टि से महत्वपूर्ण बताया।
मानव पुतले से लाइव डेमो
डॉ. निशिथ गोविल, विभागाध्यक्ष (एनेस्थीसिया), ने मानव पुतले (मैनिक्विन) की सहायता से CPR की संपूर्ण प्रक्रिया का लाइव डेमो दिया। उन्होंने चेस्ट कंप्रेशन, रेस्क्यू ब्रीदिंग, और ऑटोमैटिक एक्सटर्नल डिफिब्रिलेटर (AED) के प्रयोग की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने विशेष रूप से बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं के लिए CPR के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों को भी विस्तार से समझाया।
डॉ. आशुतोष सिंह, विभागाध्यक्ष (आपातकालीन चिकित्सा), ने बताया कि यदि किसी मरीज को अस्पताल परिसर में अचानक हार्ट अटैक आता है, तो प्रशिक्षित टीम द्वारा ACLS प्रक्रिया अपनाकर उसकी जान बचाई जा सकती है। यह दक्षता हर मेडिकल प्रोफेशनल के लिए आवश्यक है।
विशेषज्ञों ने ECG और टैकीकार्डिया पर दी जानकारी
डॉ. हरिओम खंडेलवाल ने प्रतिभागियों को ईसीजी (ECG) पढ़ने की तकनीक सिखाई, जिससे हृदय की इलेक्ट्रिकल गतिविधियों के आधार पर संभावित रोगों का अनुमान लगाया जा सके।
डॉ. राहुल चौहान ने टैकीकार्डिया से जुड़ी बीमारियों के लक्षण, कारण और उपचार के बारे में जानकारी दी।
डॉ. उमे मरियम ने हार्ट अटैक से उबर चुके मरीजों की पुनर्वास प्रक्रिया, सतत देखभाल और दीर्घकालिक मेडिकल मैनेजमेंट पर प्रकाश डाला।
इस कार्यशाला ने प्रतिभागियों को आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं के प्रति सजग और सक्षम बनने की दिशा में एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान किया।
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