शिक्षा माफिया पर प्रशासन का शिकंजा: बुक डिपो पर छापेमारी, जीएसटी चोरी और जबरन बिक्री का भंडाफोड़
देहरादून: स्कूलों के रिजल्ट के बाद किताबों और स्टेशनरी की बिक्री में धांधली करने वाले शिक्षा माफिया पर प्रशासन ने कड़ी कार्रवाई की है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर जिलाधिकारी (डीएम) सविन बंसल ने शनिवार को शहर के प्रमुख बुक डिपो पर ताबड़तोड़ छापेमारी कर दी। छापे के दौरान अधिकारियों को बुक डिपो संचालकों द्वारा जीएसटी चोरी, बिना बिल बिक्री और जबरन सामग्री ठूंसने जैसे गंभीर अनियमितताओं का पता चला। प्रशासन ने तत्काल प्रभाव से बुक डिपो की बिल बुक जब्त कर एफआईआर दर्ज करने के आदेश दे दिए हैं।
चार टीमों ने एक साथ मारा छापा
डीएम सविन बंसल ने सिटी मजिस्ट्रेट और तीन उपजिलाधिकारियों के नेतृत्व में चार अलग-अलग टीमें गठित कर छापेमारी अभियान चलाया। शनिवार शाम को सुभाष रोड स्थित ब्रदर पुस्तक भंडार, डिस्पेंसरी रोड के नेशनल बुक डिपो और राजपुर रोड पर यूनिवर्सल बुक डिपो पर एक साथ छापा मारा गया।
जांच के दौरान यह खुलासा हुआ कि बुक डिपो संचालक ग्राहकों को बिना बिल के ही स्टेशनरी बेच रहे थे। कई मामलों में ग्राहकों को पक्के बिल की जगह साधारण पर्ची पर दाम लिखकर दिया जा रहा था। इसके अलावा, किताबों के बंडल में अनचाही सामग्री जैसे जिल्द और डिक्शनरी जबरन शामिल कर अधिक दाम वसूले जा रहे थे।
बिना बार कोड की किताबें जब्त, बिल बुक कब्जे में
राजपुर रोड स्थित यूनिवर्सल बुक डिपो की जांच के दौरान उपजिलाधिकारी कुमकुम जोशी को बिना बार कोड की किताबें बिकती हुई मिलीं। संदेह होने पर उन्होंने बुक डिपो की सभी बिल बुक और बिना बार कोड वाली किताबें जब्त कर लीं।
सुभाष रोड स्थित ब्रदर बुक डिपो में भी जीएसटी चोरी का मामला सामने आया, जहां सहायक राज्य कर आयुक्त अवनीश पांडे ने जांच शुरू की। संचालक बिलों के बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दे पाए, जिसके चलते आगे की कार्रवाई की जाएगी।
जीएसटी चोरी पर होगी कड़ी कार्रवाई
प्रशासन को छापेमारी के दौरान यह भी पता चला कि अधिकांश बुक डिपो संचालक बिना जीएसटी के ही किताबें बेचकर टैक्स चोरी कर रहे थे। इस मामले में जीएसटी विभाग ने भी सख्त रुख अपनाया है। अब बिक्री के औसत के आधार पर पूरे टर्नओवर का आकलन कर चोरी गई राशि की वसूली की जाएगी। साथ ही ब्याज और अर्थदंड भी लगाया जाएगा।
स्कूलों की मिलीभगत की जांच शुरू
जिलाधिकारी सविन बंसल ने बताया कि कई अभिभावकों ने शिकायत की है कि उन्हें निर्धारित बुक डिपो से ही स्टेशनरी खरीदने का दबाव बनाया जाता है। स्कूल प्रबंधन और बुक डिपो की सांठगांठ से अभिभावकों को महंगी किताबें और अनावश्यक सामग्री खरीदने के लिए मजबूर किया जा रहा है। प्रशासन ने अब स्कूलों की इस मिलीभगत की भी जांच शुरू कर दी है।
ब्राइटलैंड्स जैसे स्कूल बने मिसाल
जहां अधिकांश स्कूलों में अभिभावकों पर किताबों और यूनिफॉर्म के लिए दबाव बनाया जाता है, वहीं दून का ब्राइटलैंड्स स्कूल एक मिसाल बनकर सामने आया है। यह स्कूल अभिभावकों पर किसी प्रकार का दबाव नहीं डालता। वे खुलकर कहते हैं कि माता-पिता स्वेच्छा से कहीं से भी स्टेशनरी खरीद सकते हैं। प्रशासन ने अन्य स्कूलों से भी ऐसी ही ईमानदार नीति अपनाने की अपील की है।
✅ प्रशासन की कार्रवाई जारी रहेगी
जिलाधिकारी ने स्पष्ट किया है कि अभिभावकों के हितों की रक्षा के लिए प्रशासन की यह कार्रवाई जारी रहेगी। स्कूल प्रबंधन और बुक डिपो की सांठगांठ के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे। जीएसटी चोरी करने वालों पर भी कड़ी कार्रवाई होगी।