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देहरादून, चार मासूम बेटियों की विधवा माँ प्रिया को ऋण बीमा के बावजूद परेशान करना सीएसएल फाइनेंस लिमिटेड बैंक को भारी पड़ गया है। जिलाधिकारी सविन बंसल के निर्देश पर प्रशासन ने बैंक की राजपुर रोड स्थित शाखा को सील कर दिया है। साथ ही बैंक की संपत्ति को कुर्क कर नीलामी की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
बैंक पर आरोप है कि महिला के पति स्व. विकास कुमार द्वारा लिए गए 6.50 लाख रुपये के गृह ऋण का बीमा होने के बावजूद पति की मृत्यु के बाद बैंक ने न तो बीमा क्लेम दिया, न ही ऋण माफ किया और उल्टा महिला को बार-बार परेशान किया गया। इतना ही नहीं, बैंक एजेंट्स ने घर के कागजात भी जब्त कर लिए थे।
न्याय के लिए भटकती रही विधवा प्रिया
स्व. विकास कुमार की आकस्मिक मृत्यु 12 जुलाई 2024 को हुई थी। इसके बाद प्रिया एक वर्ष तक बैंक और बीमा कंपनी के चक्कर लगाती रही। उन्होंने कई बार बैंक से ऋण माफ करने और बीमा क्लेम जारी करने की मांग की, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हुई। अंततः उन्होंने 11 जुलाई 2025 को जिलाधिकारी से न्याय की गुहार लगाई।
डीएम ने लिया संज्ञान, बैंक प्रबंधक पर कसा शिकंजा
महिला की आपबीती सुनकर डीएम सविन बंसल ने तत्परता दिखाते हुए बैंक के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए। बैंक प्रबंधक के खिलाफ ₹7.15 लाख की वसूली आरसी (Recovery Certificate) जारी की गई। तय समय सीमा में बैंक द्वारा न तो वसूली में सहयोग किया गया और न ही महिला को नो ड्यूज सर्टिफिकेट दिया गया। ऐसे में प्रशासन ने बैंक की चल और अचल संपत्ति को कुर्क कर शाखा को सील कर दिया।
कुर्की व नीलामी की कार्रवाई शुरू
प्रशासन द्वारा जारी वसूली प्रमाण पत्र के तहत ₹6,50,000 की मूल राशि तथा ₹65,000 वसूली व्यय समेत कुल ₹7,15,000 की धनराशि निर्धारित की गई थी। बैंक द्वारा यह राशि RTGS के माध्यम से तहसीलदार देहरादून के पदेन खाते में स्थानांतरित की गई, लेकिन शर्तों के उल्लंघन के कारण इसका उपयोग प्रतिबंधित कर दिया गया।
प्रशासन ने अंततः उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि सुधार अधिनियम 1950 की धारा 282 के अंतर्गत अधिकारों का प्रयोग करते हुए सीएसएल फाइनेंस लिमिटेड के चल-अचल खातों को कुर्क करने की प्रक्रिया पूरी की। चूंकि चल संपत्ति वसूली की धनराशि के सापेक्ष अपर्याप्त थी, अतः बैंक खाते को भी कुर्क कर दिया गया है।
प्रशासन के कड़े निर्णय से लोगों में संतोष
यह मामला न केवल एक विधवा महिला को न्याय दिलाने का उदाहरण बना है, बल्कि निजी बैंकों द्वारा की जा रही धोखाधड़ी पर प्रशासन की सख्त निगरानी और तत्पर कार्रवाई का प्रमाण भी है। जिलाधिकारी सविन बंसल के नेतृत्व में जिला प्रशासन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जनमानस को गुमराह करने या प्रताड़ित करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।
इस कार्रवाई से जनसामान्य में प्रशासन के प्रति विश्वास बढ़ा है और लोगों को यह भरोसा मिला है कि प्रशासन उनके अधिकारों की रक्षा के लिए हमेशा सजग है। जिला प्रशासन की ओर से यह संदेश भी गया है कि अब आर्थिक रूप से कमजोर और असहाय नागरिकों के शोषण पर कठोरतम कार्यवाही की जाएगी।
निष्कर्ष
विधवा प्रिया की लड़ाई एक उदाहरण है कि यदि आप ठोस तरीके से अपनी बात रखें और प्रशासन तक आवाज पहुँचाएं, तो न्याय संभव है। यह कार्रवाई आने वाले समय में अन्य फाइनेंस कंपनियों और बैंकों के लिए चेतावनी है कि नियमों की अवहेलना और आम नागरिकों के अधिकारों के साथ खिलवाड़ अब महंगा पड़ेगा।
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