पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष व निष्काषित सदस्य हरीश ऐठानी ने कहा कि उन्हें राजनीतिक साजिश के तहत फंसाया गया
है। अगर वित्तीय अनियमितता थी तो मुक़दमा क्यूँ नहीं दर्ज किया गया। क्यूँकि वित्तीय मामले को इस आदेश में खोला नही गया है। उन पर लगाए गए सभी आरोप निराधार हैं।
कुमंविनि पर्यटन आवास गृह में शुक्रवार को आयोजित पत्रकार वार्ता में हरीश ऐठानी ने कहा कि जिन बिंदुओं पर आरोप लगाए गए उन सभी कार्यों में अभियंता, अपर मुख्य अधिकारी व वित्त नियंत्रक की अनुमति से भुगतान हुआ है। उन्होंने बताया कि इस सम्बंध में आज सुबह 9:13 मिनट पर मुझे मेरे आवास पर यह आदेश पत्र प्राप्त हुआ। पहले तो शिकायतों की लिस्ट दो दर्जन से अधिक आरोपों के साथ थी, परन्तु वर्तमान समय में महज़ पांच-छै बिंदुओं पर आकर सिमट गयी है। उन्होंने कहा कि विशेष निविदा समिति में तय होने के बाद जिपं अध्यक्ष की संस्तुति होती है, जबकि जिपं के होटल में सुधार के लिए सबकी सहमति से आवंटन हुआ। अब यदि एक ही ठेकेदार को इस पर ठेका मिलता है तो यह क्या अध्यक्ष की ज़िम्मेदारी है, यदि उस ठेकेदार को निर्धारित मूल्य से अधिक का भुगतान हुआ है तो बताए। जिला पंचायत में मेरे कार्यकाल की जांच करने की शिकायत करने वाले कथित राजनीतिक व्यक्ति शेर सिंह गढि़या शायद यह नही जानते होंगे की जिला पंचायत में दर्ज ठेकेदार ही यहां की निविदाओं में प्रतिभाग कर सकता है अन्य नही। वैसे भी यह मामला जिला पंचायत प्रशासन की प्रशासनिक इकाई से सम्बंधित है। क्यूँकि इन सबके लिए यहां अलग से निर्माण व भुगतान समितियों का प्रावधान है।
रातिरकेटी में शिक्षक नियुक्ति में भी लगाए गए आरोप निराधार हैं। शिक्षकों की कमी दूर करना अभिवावकों की मंशा अनरूप शिक्षण व्यवस्था में सुधार हुआ। यह कार्य भी वित्तीय परामर्श की सहमति के बाद सम्पन्न हुआ। इस पर यदि कोई शंका है तो क्षेत्र में घर-घर जाकर उस विद्यालय में अध्ययनरत बच्चों के अभिभावकों से निवेदन कर चंदा एकत्र कर इसकी भरपाई करने को तैयार हूँ। उन्होंने कहा कि खड़िया और अन्य मालवाहक ट्रकों के वजन तोलने के लिए खुले धर्मकांटे से जिपं की आय में बढ़ोत्तरी हुई, हालांकि अब उसे बंद कर दिया गया है। भूमि चयन अध्यक्ष के अधिकार क्षेत्र का मामला नही है यह सब अपर मुख्य अधिकारी की निगरानी में किया जाता है। बताया कि उनके खिलाफ सिर्फ राजनैतिक द्वेष भावना से जांच की गई है। जबकि वह कहते हैं कि इस पत्र में शिकायतकर्ता द्वारा की गई शिकायत को ही गलत तरीक़े से किया गया है यह सम्बंधित विभाग मानता है, फिर भी बिना धन की हानि के वित्तीय अनियमितता का दण्ड आपके सामने है। अपने उपर लगे आरोपों को निराधार बताने हुए उन्होंने कहा कि सरकार के फैसले के खिलाफ व न्यायालय में जाएंगे। जनता ने उन्हें जिताया है। उनकी छवि खराब करने वालों के खिलाफ न्यायिक प्रक्रिया अपनाई जाएगी। संवैधानिक तरीके से आगे की लड़ाई लड़ी जाएगी। उन्होंने कहा कि धारा109 की उपखंड की धाराओं में मेरी आख्या को नहीं सुना जाना इसका प्रमाण है कि उन्हें साजिश के तहत फसाया गया है।
पूर्व सांसद प्रदीप टम्टा ने इस पूरे मामले को राजनीति से प्रेरित बताया। पहले चमोली जिपं की वित्तीय शक्ति रोकने उसके बाद न्यायालय से जीत मिलने पर सरकार को मुँह की खानी पड़ी यह मामला भी ठीक वैसा ही है। पूर्व जिपं अध्यक्ष द्वारा जनहित के लिए गए निर्णय से आम जनता को लाभ हुआ है। कांग्रेस व्यक्ति विशेष आधार पर इसे विपक्ष के तौर पर मुद्दा बनाएगी, लोकतंत्र की हत्या करने वाली सरकार के विरुद्ध प्रदेश स्तर पर इसके खिलाफ सड़क से सदन तक आंदोलन चलाया जाएगा।
पूर्व विधायक ललित फ़र्स्वाण ने इस पूरे प्रकरण की निंदा करते हुए सरकार का विरोध जताया है। उन्होंने इसे लोकतांत्रिक शक्तियों का उल्लंघन बताते हुए राजनीतिक हत्या करार दिया है। सरकार के प्रतिनिधि अपनी शाख़ को बचाने के लिए इस तरह का आदेश निंदनीय है।
वहीं पूर्व जिला पंचायत के सदस्य व वर्तमान में कांग्रेस जिला अध्यक्ष भगवत डसीला बताते हैं कि यह पंचायतों में कांग्रेस को कमजोर करने की एक साज़िश है जिसे जनता किसी भी सुरत में इन्हें माफ़ नही करेगी। उन्होंने कहा कि मैं उस समय उसी सदन का सदस्य था मेरे द्वारा ही यह प्रस्ताव सदन में रखा गया था कि जिला पंचायत अपनी आय बढ़ाने के लिए एक धरमकाँटा लगाया जाए क्यूँकि तब मैं उस सदन की निर्माण समिति का भी सदस्य था। हमारे जनपद से उपखनिज जाता है एक दिन में लगभग 250 से 300 गाड़ियाँ। परन्तु इस मामले को प्रशासनिक स्तर के अधिकारियों ने कोई सहयोग न करने के चलते एक आदेश पारित किया गया कि ट्रकों की माप हल्द्वानी जाकर की जाए, यह कहां तक न्यायसंगत है। यह पूरा घटनाक्रम बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। जो जनप्रतिनिधि बनकर आता है उसका काम क्या है? क्या वह ज़िम्मेदार है कि धरातल पर काम हुआ है या नही? तो प्रशासनिक ढाँचे की आवश्यकता क्या है? उसे बंद कर देना चाहिए। ऐसा क्यों कि केवल कांग्रेस समर्पित जिला पंचायतों में ही आरोप लग रहे हैं? बेहद चिंताजनक विषय है। देश में जिस तरह राहुल गांधी की सदस्यता रद्द की गयी वैसे ही प्रदेश में हमारे पूर्व अध्यक्ष की सदस्यता रद्द हुई है। इससे कहीं न कहीं आपकी राजनीतिक प्रतिष्ठा बड़ी है। यह अपने आप में बहुत बड़ा संदेश है।
वहीं जिला पंचायत सदस्य गोपा धपोला कहती हैं कि यह एक राजनीतिक षड्यंत्र के तहत की गई कार्यवाही है। हमने 74 दिन का आंदोलन वर्तमान अध्यक्ष के कार्यकाल में किया है इसका तो इस सरकार से कोई जवाब देता अभी तक नही बन रहा है। हमारे क्षेत्र के विकास को आवंटित बजट की बंदरबाँट इस सरकार को दिखती नही है। कहते हैं कि जब सरकार अध्यक्ष को इस पूरे प्रकरण में दोषी मान रही है तो उस वक्त के अधिकारियों को कैसे दोषी नही माना जा रहा है, यह अपने आप में एक गम्भीर सवाल है। यहीं इस जांच रिपोर्ट में सबसे बड़ी गड़बड़झाला बयान करती है।
वहीं पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष लोकमणी पाठक कहते हैं कि यह केवल ऐठानी का अपमान नही उस निर्वाचित क्षेत्र की जनता का अपमान है, जिन्होंने उन्हें वोट दिया है। यह प्रत्येक कांग्रेस कार्यकर्ता का अपमान है। इस दौरान कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन कर इस कार्यवाही का विरोध जताया।
इस दौरान कपकोट नगर पंचायत अध्यक्ष गोविंद बिष्ट, जिपं सदस्य वंदना ऐठानी, पूजा आर्या, रेखा, इंद्रा परिहार, सुरेश खेतवाल, रंजीत दास, राजेन्द्र टँगड़िया, राजेन्द्र राठौर, कवि जोशी, गोकुल परिहार, प्रकाश, पपू जोशी आदि मौजूद रहे।
♦️क्या है पूरा मामला—
आपको बताते चलें, कि कपकोट विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के पूर्व विधायक गढि़या की ओर से 29 सितंबर 2017 को 2014-15 में जिला पंचायत में हुई अनियमितताओं की जांच के लिए शासन को पत्र लिखा गया था। पत्र में निर्माण कार्य योजनाओं के लिए निविदा की सामग्री (सीमेंट, सरिया, ईट, जीआई पाइप) की आपूर्ति बिना जिला पंचायत सदन में प्रस्ताव पारित कराए, राज्य वित्त/जिला निधि/पर्यटन विभाग से बिना नियम और निविदा प्रक्रिया किए एक ठेकेदार को कार्य दिए जाने, बिना तकनीकी परीक्षण कराए पुलों/पैदल मार्गों का निर्माण, पीटीए अध्यापकों की नियुक्ति, पिंडारी रोड आरे में धर्मकांटा स्थापित किए जाने, मुख्यमंत्री राहत कोष से विद्यालयों के मरम्मत आदि कार्यों में अनियमितता बरते जाने की शिकायत की गई थी।
♦️ डीएम और मंडलायुक्त स्तर पर हुई जांच —
बागेश्वर। पंचायतीराज विभाग के सचिव नितेश कुमार झा की ओर से जारी आदेश पत्र में बताया गया है कि पूर्व विधायक गढि़या के शिकायती पत्र के आधार पर बागेश्वर के तत्कालीन डीएम को मामले की प्रारंभिक जांच सौंपी गई थी। डीएम ने जांच की आख्या कुमाऊं मंडलायुक्त को सौंपी। डीएम की प्रारंभिक जांच और मंडलायुक्त की विस्तृत जांच आख्या में अनियमिताओं की पुष्टि होने पर ऐठानी को कारण बताओ नोटिस दिया गया। ऐठानी ने अपने खिलाफ लग रहे आरोपों के संबंध में कार्यालय जिला पंचायत, अपर मुख्य अधिकारी और अन्य कार्मिकों को उत्तरादायी बताया था। प्रकरण में कुमाऊं आयुक्त की अंतिम जांच आख्या में तत्कालीन जिपं अध्यक्ष/वर्तमान जिपं सदस्य पंचायतीराज अधिनियम की धारा 109 के तहत अपने कर्तव्यों का सम्यक रूप से निर्वहन करते नहीं पाए गए। इसके आधार पर पंचायतीराज सचिव नितेश कुमार झा ने राज्यपाल के निर्देश पर ऐठानी की सदस्यता समाप्त करने का आदेश जारी किया।
♦️अनुराधा पाल, डीएम, बागेश्वर।
राज्यपाल की आज्ञा और पंचायतीराज विभाग के सचिव की ओर से 28 अप्रैल को आदेश पत्र प्राप्त हुआ है। पत्र में जिला पंचायत सदस्य हरीश ऐठानी की सदस्यता को तत्काल प्रभाव से समाप्त करने का आदेश है। आदेश का पालन कराना हमारा काम है और हम इसका पालन करेंगे।