HMPV (ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस) के साथ-साथ सीजनल इन्फ्लुएंजा को लेकर अलर्ट जारी होने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने इंतजाम करना शुरू कर दिए हैं। अस्पतालों में मशीनें दुरूस्त करने, दवाओं की उपलब्धता बनाए रखने के अलावा आईवी इंजेक्शन, फ्लूड आदि की व्यवस्था के निर्देश दिए हैं।
स्वास्थ्य विभाग ने कहा यही है कि किसी को डरने की जरूरत नहीं है, सिर्फ एहतियात बरतना जरूरी है। वहीं स्थिति से निपटने के इंतजाम किए जा रहे हैं। सीएमओ डॉ. हरीश पंत के मुताबिक डॉ. सुशीला तिवारी अस्पताल (एसटीएच), बीडी पांडे अस्पताल और बेस अस्पताल में 100 बेड आरक्षित कर लिए गए हैं। वहीं सीएचसी में दो-दो बेड आरक्षित किए गए हैं। जरूरत पड़ने पर जल्द ही निजी अस्पतालों को भी निर्देश जारी कर दिए जाएंगे।
अस्पतालों में भरपूर मात्रा में दवाएं रखने को कहा गया है। एचएमपीवी और इन्फ्लुएंजा का मरीज पहुंचने या सूचना मिलने पर तुरंत सीएमओ कार्यालय को जानकारी देने को कहा गया है। इधर बेस अस्पताल के पीएमएस डॉ. केके पांडे ने बताया कि अस्पताल में दवाएं उपलब्ध हैं। भर्ती की दशा में आईवी इंजेक्शन और फ्लूड की भी व्यवस्था की गई है।मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी विभाग ने आईसीएमआर के निर्देशानुसार वायरस की जांच के लिए एचएमपीवी किट खरीद ली है। विभागाध्यक्ष डॉ. उमेश ने बताया कि एचएमपीवी के लिए दिशा निर्देश जारी हो गए हैं। जल्द ही जांच की सुविधा भी उपलब्ध हो जाएगी।
यह दी गई सलाह
– बच्चे, बुजुर्ग और गंभीर रोग से ग्रसित लोग बरतें विशेष सावधानी।
– छींकते या खांसते समय नाक और मुंह को ढकने के लिए मॉस्क का इस्तेमाल करें।
– भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर जाने से बचें।
– साबुन-पानी से हाथों को स्वच्छ रखें।
– अधिक मात्रा में पानी और तरल पदार्थों का सेवन करें तथा पौष्टिक आहार लें।
– सर्दी, जुकाम, बुखार आदि के लक्षण होने पर तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें और लक्षण होने पर स्वस्थ लोगों से दूरी बनाकर रखें।
अस्पतालों में ही अभी दिख रही लापरवाही
इन्फ्लुएंजा और एचएमपीवी यानि श्वसन तंत्र रोग के लिए अलर्ट जारी हो चुका है। एक तरफ अफसरों ने इनका संक्रमण फैलने पर उससे निपटने के इंतजाम शुरू कर दिए हैं, वहीं कर्मचारियों की लापरवाही साफ दिख रही है। मंगलवार को अस्पतालों की ओपीडी में पहुंचे मरीज लाइन में एक दूसरे के साथ सटे हुए दिखे।
डॉ. उमेश, माइक्रोबायोलॉजी विभागाध्यक्ष, मेडिकल कॉलेज
एचएमपीवी सामान्य सर्दी-जुकाम के लक्षणों के साथ ही आता है। तीन से पांच दिनों में स्वत: ठीक भी हो जाता है। लेकिन उचित दूरी रखना, संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में न आने, बच्चों और बुजुर्गों का विशेष ध्यान रखने की जरूरत है। लोग नियमों का पालन करेंगे तो संक्रमण फैलने की आशंका बेहद कम रहेगी।