देहरादून: आयुष चिकित्सा अधिकारी संघर्ष समिति की एक बैठक होटल हिम पैलेस, देहरादून, में आज दिनांक 16.10.2022 को संपन्न हुई जिसमें सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि यदि शीघ्र भविष्य में सेवानिवृत्त चिकित्सा अधिकारियों की पेंशन स्वीकृत नहीं हुई तो सेवानिवृत्त चिकित्सक सपरिवार आयुर्वेद निदेशालय के परिसर में चरणबद्ध तरीके से धरना प्रदर्शन, अनशन व आमरण अनशन पर बैठेंगे
विदित है कि उत्तर प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 1984, 1986, 1988, 1992 व 1998 में नियुक्त राजकीय चिकित्सा अधिकारियों मे से उत्तराखंड गठन के पश्चात 156 चिकित्सा अधिकारियों द्वारा अपने गृह राज्य उत्तराखंड में सेवा का विकल्प दिया गया था. यह चिकित्सक पूर्ण मनोयोग से सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में आम जनता को चिकित्सा लाभ प्रदान करते रहे इन सभी चिकित्सा अधिकारियों को उत्तराखंड शासन द्वारा क्रमश: 22, 20, 18, व 14 वर्षों की सेवा के उपरांत 27. 01.2006 एवं 2012 मे विनियमित किया गया
31.03. 2018 तक सेवानिवृत्त लगभग 100 चिकित्सा अधिकारियों को सेवानिवृत्ति के समस्त लाभ दिए गए.
दिनांक 13.04.2018 को उत्तराखंड सेवानिवृत्ति लाभ अधिनियम 2018 निर्गत होने के कारण अप्रैल, 2018 से इन चिकित्सकों की पेंशन लाभ से वंचित कर दिया गया. यदि शासन द्वारा हमारा विनियमितीकरण भी संशोधित कर उत्तर प्रदेश की भांति 16.03. 2005 कर दिया जाता है तो हमें पेंशन लाभ प्राप्त हो जाएगा
क्या अपने गृह राज्य में सेवा का विकल्प देना इन चिकित्सा अधिकारियों की भूल थी. भारत सरकार आयुष चिकित्सा पद्धति के प्रचार प्रसार में प्रयत्नशील है वहीं राज्य सरकार चिकित्सा अधिकारियों को पेंशन लाभ तक नहीं दे रही है जबकि इनकी नियुक्ति पेंशन युक्त पदों पर हुई थी. संघर्ष समिति लगातार राज्य सरकार के शासन प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों से वार्ता करती रही परंतु सिवाय आश्वासन की कुछ नहीं मिला प्रतिनिधिमंडल चार बार माननीय मुख्यमंत्री जो कि आयुष मंत्री भी हैं से मिला तथा उन्हें इस संबंध में प्रत्यावेदन दिए उन्होंने सारे प्रत्यावेदन विभाग को संदर्भित कर दिए जिसकी सूचना उन्होंने संघर्ष समिति को भी प्रेषित की किंतु इतना समय बीत जाने के बाद भी शासन स्तर पर कोई कार्यवाही नहीं की गई. वर्ष 2018 से अब तक इतनी लंबी अवधि बीत जाने के बाद भी इन चिकित्सा अधिकारियों को पेंशन लाभ नहीं दिया गया. सर्वोच्च अदालत द्वारा भी यह कहा गया है कि पेंशन उनकी की गई सेवाओं का प्रतिफल है और यह उनका संवैधानिक अधिकार है पेंशन न मिलने के कारण इन चिकित्सकों की सामाजिक प्रतिष्ठा भी धूमिल हो रही है तथा चिकित्सकों के पास जीवनयापन का कोई माध्यम नहीं रहा क्योंकि यह इतने वर्षों से पेंशन युक्त पदों पर कार्य कर रहे थे किंतु सेवाओं के अंत में सरकार द्वारा इनको पेंशन से वंचित किया जा रहा है इस कारण कई चिकित्सक अवसाद की स्थिति में है.
शासन द्वारा केवल आश्वासन मिलने के कारण व्यथित होकर समिति द्वारा आंदोलन का निर्णय लिया गया है यह आंदोलन शांतिपूर्ण होगा तथा पेंशन स्वीकृति के संबंध में उचित निर्णय लेने तक जारी रहेगा
डॉ कमल सिंह असवाल, अध्यक्ष
डॉ सुशील चंद्र चोखियाल , महासचिव.