सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को उत्तराखंड सरकार के बीएड कोर्स कराने वाले कॉलेजों को मान्यता नहीं देने के 2013 के फैसले को इस आधार पर बरकरार रखा कि कोर्स पास करने वाले 13,000 छात्रों के मुकाबले सालाना केवल 2500 शिक्षकों की ही आवश्यकता होती है। इसलिए नए बीएड कॉलेजों में नई सीटों को सृजन करना ठीक नहीं होगा।
राज्य सरकार ने अदालत को बताया कि प्रति वर्ष 2500 शिक्षकों की आवश्यकता के लिए, लगभग 13000 छात्र बीएड पाठ्यक्रम पास कर रहे होंगे, जो बेरोजगारी को बढ़ावा देना होगा। राज्य सरकार बीएड पाठ्यक्रम पूरा करने वाले अन्य 2500 से अधिक उत्तीर्ण छात्रों को रोजगार देने की स्थिति में नहीं होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा दिए गए कारणों के मद्देनजर उन्हें सही ठहराते हुए नए बीएड कॉलेजों को मान्यता प्रदान नहीं करने का निर्णय लिया और एनसीटीई को पसंदीदा आवेदन पर उचित निर्णय लेने का निर्देश दिया।
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