उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता पर एसजीआरआर विश्वविद्यालय ने की महत्वपूर्ण संगोष्ठी: महत्वपूर् बिंदु
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू होने के बाद, राज्य में विवाह, तलाक, उत्तराधिकार, विरासत और लिव-इन संबंधों से जुड़े कानूनों में महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं। इस विषय पर एसजीआरआर विश्वविद्यालय के सामाजिक एवं मानविकी विज्ञान संकाय के राजनीति विज्ञान और मनोविज्ञान विभाग द्वारा एक विशेष संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में मुख्य वक्ता डॉ. राखी पंचोला ने यूसीसी के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला और इसके सामाजिक प्रभावों पर चर्चा की।
संगोष्ठी के मुख्य बिंदु:
1. यूसीसी का उद्देश्य: उत्तराखंड सरकार ने 27 जनवरी 2025 से यूसीसी को लागू किया है, जिससे यह स्वतंत्र भारत का पहला यूसीसी लागू करने वाला राज्य बन गया है। इसका उद्देश्य सभी नागरिकों के लिए धर्म, जाति और लिंग से परे एक समान कानून स्थापित करना है।
2. लैंगिक समानता और सामाजिक न्याय: डॉ. राखी पंचोला ने बताया कि यूसीसी का लागू होना लैंगिक समानता और सामाजिक न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा करेगा और समाज में व्याप्त कुप्रथाओं को समाप्त करेगा।
3. प्रमुख प्रावधान– लिव-इन रिलेशनशिप के पंजीकरण को अनिवार्य बनाया गया है।
– बेटा और बेटी दोनों को संपत्ति में समान अधिकार दिए गए हैं, जिससे लैंगिक भेदभाव समाप्त होगा।
4. छात्रों के लिए अवसर: प्रोफेसर डॉ. प्रीति तिवारी ने कहा कि यूसीसी के लागू होने से छात्रों को भारतीय संविधान, कानून प्रणाली और सामाजिक समरसता को बेहतर ढंग से समझने का अवसर मिलेगा।
5. कार्यक्रम का समापन: कार्यक्रम की संयोजक डॉ. गरिमा सिंह ने धन्यवाद प्रस्ताव दिया। इस अवसर पर विभिन्न विभागों के अध्यक्ष, शिक्षकगण और सैकड़ों छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।
यह संगोष्ठी यूसीसी के प्रति जागरूकता बढ़ाने और इसके सामाजिक प्रभावों को समझने का एक महत्वपूर्ण मंच साबित हुई।