सरकार ने नेफेड, एनसीसीएफ और केंद्रीय भंडार के लिए एफसीआई के गेहूं का दाम 23.50 रुपये से घटाकर 21.50 रुपये प्रति किलोग्राम कर दिया है।
महंगाई से छुटकारा दिलाने के लिए सरकार ने अहम कदम उठाया है. आटे के दिन पर दिन बढ़ते दाम ने लोगों के किचन का बजट बिगाड़ रखा है, ऐसे में सरकार इस दिशा में राहत देने के लिए बड़ा कदम उठाया है।
आपको बता दें, बाजार में भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के स्टॉक को निकालने के बावजूद गेहूं के दाम ऊंचे बने हुए हैं. ऐसे मे केंद्र सरकार ने भारत भर में ई-नीलामी के जरिये थोक ग्राहकों को गेहूं की नीलामी 2,350 रुपये प्रति क्विंटल के मूल्य पर करने का फैसला किया है. इसके अलावा सरकार ने ढुलाई शुल्क को भी हटा दिया है।
इसके साथ ही सरकार ने नेफेड, एनसीसीएफ और केंद्रीय भंडार के लिए एफसीआई के गेहूं का दाम 23.50 रुपये से घटाकर 21.50 रुपये प्रति किलोग्राम कर दिया है।
आटे का दाम हुआ कम
इन संस्थानों को गेहूं को आटे में बदलकर 29.50 रुपये प्रति किलोग्राम के अधिकतम खुदरा मूल्य पर बेचने को कहा गया था. अब उन्हें यह आटा 27.50 रुपये प्रति किलोग्राम के भाव पर बेचने को कहा गया है।
दालों की घरेलू उपलब्धता बढ़ाने और कीमतों को संतुलित करने के लिए तूर और उड़द के आयात को 31-03-2024 तक मुक्त श्रेणी में रखा गया है और मसूर पर आयात शुल्क को घटाकर 31-03-2024 तक शून्य कर दिया गया है।
तूर के संबंध में जमाखोरी और प्रतिबंधात्मक व्यापार प्रथाओं को रोकने के लिए सरकार ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के तहत तुअर के स्टॉकहोल्डर्स द्वारा स्टॉक प्रकटीकरण को लागू करने और स्टॉक की निगरानी और सत्यापन करने के लिए एक निर्देश जारी किया है. मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) और मूल्य स्थिरीकरण निधि (पीएसएफ) बफर से चना और मूंग के स्टॉक कीमतों को कम करने के लिए लगातार बाजार में जारी किए जाते हैं और कल्याणकारी योजनाओं के लिए राज्यों को भी आपूर्ति की जाती है।