Dehradun: उत्तरकाशी न्यायालय ने एक अहम आदेश में पुरोला ब्लॉक प्रमुख निशिता पवार (पत्नी श्री अंकित शाह) की प्रशासनिक और वित्तीय शक्तियों पर अंतरिम रोक लगा दी है। अदालत ने यह रोक चुनाव याचिका के निस्तारण तक लागू रहने का निर्देश दिया है।
अदालत का आदेश
अस्थायी निषेधाज्ञा प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने पाया कि विपक्षी संख्या-1 निशिता पवार के नाम पर दो जाति प्रमाणपत्र मौजूद हैं।
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पहला: अनुसूचित जनजाति का प्रमाणपत्र (24 अप्रैल 2017)।
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दूसरा: अनुसूचित जाति का प्रमाणपत्र (24 जून 2025)।
याचिकाकर्ता का कहना है कि आरक्षण अधिसूचना के बाद जानबूझकर अनुसूचित जाति का प्रमाणपत्र बनवाकर चुनाव लड़ा गया, जो नियमों के खिलाफ है।
अदालत की दलीलें
न्यायालय ने माना कि:
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दोनों प्रमाणपत्र रिकॉर्ड पर उपलब्ध हैं।
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याचिकाकर्ता ने चुनाव से पहले आपत्ति दर्ज की थी।
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यदि अंतरिम रोक न लगाई जाती तो याचिकाकर्ता को अपूरणीय क्षति हो सकती थी।
इन्हीं आधारों पर अदालत ने निशिता पवार को प्रशासनिक व आर्थिक शक्तियों के प्रयोग से रोक दिया है।
अधिवक्ताओं के तर्क
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अरविंद राणा, अर्जुन डबराल, प्रकाश चौहान और वरिष्ठ अधिवक्ता बी.एस. मतूड़ा ने अदालत में विस्तृत व मजबूत दलीलें पेश कीं। विशेषकर अधिवक्ता बी.एस. मतूड़ा की तर्कपूर्ण पैरवी ने न्यायालय का ध्यान आकर्षित किया और याचिकाकर्ता के पक्ष को मजबूती दी।वहीं विपक्षी निशिता पवार की ओर से अधिवक्ता वेदपाल चौहान, दीपक रमोला व संजय ध्यानी ने तर्क दिया कि प्रमाणपत्र राजस्व अभिलेख व निवासियों के बयानों के आधार पर वैध रूप से जारी हुआ है। उनका कहना था कि प्रमाणपत्र निरस्त करने का अधिकार केवल स्कूटनी कमेटी को है, न कि सीधे अदालत को।
अधिवक्ता बी.एस. मतूड़ा की भूमिका
वरिष्ठ अधिवक्ता बी.एस. मतूड़ा ने इस मामले में याचिकाकर्ता की ओर से प्रभावी पैरवी की। उनकी कानूनी समझ और ठोस दलीलों ने अदालत को प्रभावित किया और याचिकाकर्ता के पक्ष को मजबूती प्रदान की।
अगली सुनवाई
मामले की अगली सुनवाई के लिए न्यायालय ने 26 सितंबर 2025 की तारीख तय की है। इस दौरान पत्रावली व वाद-बिंदुओं की विरचना की जाएगी।












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