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पंचायत चुनाव के पहले चरण से ठीक पहले ड्यूटी सूची लीक होने की घटना ने प्रदेश की चुनावी पारदर्शिता पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़े कर दिए हैं। इस घटनाक्रम को लेकर राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी (RRP) ने कड़ा रुख अपनाते हुए निर्वाचन आयोग और जिला प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं।
पार्टी प्रवक्ता निखिल भंडारी ने प्रेसवार्ता में कहा, “मतदान दलों की गोपनीय सूचियाँ लीक होना केवल एक तकनीकी चूक नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया में गहरी सेंध है। यह घटना न केवल अधिकारियों की निष्क्रियता दर्शाती है, बल्कि इससे चुनावी निष्पक्षता पर भी असर पड़ सकता है।”
उन्होंने आगे आरोप लगाया कि कई जगहों पर मतदान केंद्रों की जानकारी और तैनात कर्मचारियों की डिटेल्स पहले ही बाहरी व्यक्तियों तक पहुँच चुकी थीं, जिससे गड़बड़ी की आशंका बढ़ गई है। “आम कर्मचारियों की सुरक्षा और निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया दोनों ही अब संकट में हैं,” उन्होंने जोड़ा।
RRP ने मांग की है कि:
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लीक की जांच के लिए स्वतंत्र जांच समिति गठित की जाए,
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दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए,
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और भविष्य में ऐसी सूचनाओं को एन्क्रिप्टेड और पासवर्ड-सुरक्षित प्लेटफॉर्म के माध्यम से साझा किया जाए।
पार्टी ने निर्वाचन आयोग से यह भी आग्रह किया है कि जब तक लीक की विस्तृत जांच पूरी न हो, तब तक प्रभावित क्षेत्रों में ड्यूटी रोटेशन और मतदाता क्षेत्रों की दोबारा समीक्षा की जाए।
इस बीच जिला निर्वाचन अधिकारी ने प्रारंभिक जांच के आदेश दिए हैं और कहा है कि लीक की पुष्टि के बाद आईटी सेल और साइबर क्राइम यूनिट की मदद से पूरे मामले को सुलझाया जाएगा।
यह पहला मौका नहीं है जब चुनावी व्यवस्था की गोपनीयता को लेकर सवाल उठे हों, लेकिन पंचायत जैसे जमीनी स्तर के चुनावों में इस प्रकार की चूकें निश्चित रूप से लोकतंत्र की जड़ों को कमजोर करती हैं।
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