ब्यूरो न्यूज़ उत्तराखंड ब्रॉडकास्ट
उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता हैं और हकीकत में यहां के पहाड़ ही नहीं बल्कि सभी सरकारी कार्यालय भी भगवान भरोसे ही हैं,यहां नियम कानून मानक तो बनते हैं लेकिन वह जिस विभाग के लिए बनते हैं उसी विभाग द्वारा उनकी धज्जियां उड़ा दी जाती हैं।
बीता माह मानसून की बारिश के साथ ही नहीं बल्कि राज्य के भीतर अलग अलग विभागों में ट्रांसफर की आंधी भी लेकर आया,जिसमें विभाग द्वारा अपने कई कर्मचारियों का तबादला किया।
उत्तराखंड पेयजल संसाधन एवम निर्माण निगम द्वारा भी छ: जुलाई को अधिशासी अभियंताओं के तबादले किए गए।
उत्तराखंड पेयजल निगम हल्द्वानी में कार्यरत परियोजना प्रबंधक हिमांशु वर्मा का ट्रांसफर अधिशासी अभियंता उत्तराखंड पेयजल निगम डीडीहाट में कर दिया गया था एल,परंतु विभाग में कार्यरत हमारे सूत्र बताते हैं कि उन्हें हल्द्वानी की सुख सुविधा छोड़कर ऊपर पहाड़ पर जाना अच्छा नहीं लग रहा था,उन्होंने कई दिनों तक डीडीहाट है में ट्रांसफर होने के बाद भी जॉइनिंग नहीं ली और वह लग गए अपने ट्रांसफर के जुगाड में,कुछ दिन पूर्व उन्होंने डीडीहाट ज्वाइन किया और फिर रक्षाबंधन तक छुट्टी ले ली।
अब आज फिर प्रबंध निदेशक पेयजल निगम रणवीर सिंह चौहान का एक आदेश सामने आया है जिसमें बताया गया है कि हिमांशु वर्मा जिनका ट्रांसफर पूर्व में डीडीहाट अधिशासी अभियंता के पद पर किया गया था,अब उनके स्वयं के अनुरोध पर उनका ट्रांसफर अधिशासी अभियंता के पद पर निर्माण शाखा रानीखेत में किया जाता है।
अब बड़ा सवाल यह है कि यदि इन अधिशासी अभियंताओं को अपने ही से हिसाब से,अपने ही इच्छा के अनुसार अपनी चुनी हुई जगह पर कार्य करना है तो आखिर देहरादून में बड़े-बड़े इन कार्यालय एवं बड़े अधिकारियों और राज्य में स्थानांतरण नियमावली की जरूरत ही क्या है?
क्या अधिकारी के चाहने से कहीं भी ट्रांसफर किया जा सकता है यदि ऐसा है तो हर विभाग में क्यों ना यह प्रथा शुरू कर दी जा रही है कि जहां जो भी सरकारी कर्मचारी नौकरी करना चाहता है वह वहां कर सकता है?
अब देखना होगा कि आखिर किस नियम के तहत पेयजल निगम द्वारा यह स्थानांतरण किया गया हैं और किस आधार पर अधिशासी अभियंता की स्वेच्छा को विभाग द्वारा स्वीकार्य किया गया हैं।