देहरादून। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के फिजियोथेरेपी विभाग द्वारा सोमवार को वल्र्ड फिजियोथेरेपी दिवस (World Physiotherapy Day 2025) बड़े हर्षोल्लास और सांस्कृतिक रंगारंग कार्यक्रमों के साथ मनाया गया। यह कार्यक्रम श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ पैरामैडिकल एंड एलाइड हेल्थ साइंसेज के तत्वावधान में आयोजित किया गया, जिसमें छात्र-छात्राओं ने बढ़-चढ़कर भाग लिया।
इस वर्ष की थीम – हेल्दी एजिंग (Healthy Ageing)
इस वर्ष वल्र्ड फिजियोथेरेपी दिवस की थीम हेल्थी एजिंग (स्वस्थ बुढ़ापा) रही। पैरामैडिकल के छात्रों ने पोस्टर प्रतियोगिता और प्रदर्शनी के माध्यम से संदेश दिया कि नियमित फिजियोथेरेपी से व्यक्ति स्वस्थ, सक्रिय और आत्मनिर्भर जीवन जी सकता है।
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पोस्टर प्रतियोगिता में बीपीटी के शोहेब ने प्रथम स्थान, निधि ने द्वितीय और सान्या ने तृतीय स्थान हासिल किया।
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विजेताओं को सम्मानित कर प्रोत्साहित किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ और विशेष आकर्षण
अस्पताल के ऑडिटोरियम में दीप प्रज्जवलन कर कार्यक्रम की शुरुआत की गई। इस अवसर पर श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय के को-ऑर्डिनेटर डॉ. आर.पी. सिंह, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अनिल मलिक, चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अजय पंडिता, डीन डॉ. कीर्ति सिंह, विभागाध्यक्ष डॉ. शारदा शर्मा व डॉ. नीरज कुमार मौजूद रहे।
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एमपीटी तृतीय वर्ष की छात्राओं ने गणेश वंदना प्रस्तुत की।
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बीपीटी प्रथम वर्ष की छात्रा दिव्या ने कविता के माध्यम से फिजियोथेरेपी का महत्व दर्शाया।
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नुक्कड़ नाटक के जरिए स्वस्थ बुढ़ापा विषय का मार्मिक चित्रण किया गया।
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छात्र-छात्राओं ने हिमाचली, गढ़वाली, पंजाबी और भोजपुरी लोकगीतों के साथ बॉलीवुड गीतों पर भी प्रस्तुतियां दीं।
फिजियोथेरेपी केवल इलाज नहीं, जीवन की गुणवत्ता का विज्ञान
विभागाध्यक्ष डॉ. शारदा शर्मा ने कहा—
“फिजियोथेरेपी केवल रोगों का इलाज नहीं, बल्कि जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने का विज्ञान है। बढ़ती उम्र में यह सबसे बड़ा संबल साबित हो सकती है।”
हर साल 8 सितंबर को मनाया जाता है वर्ल्ड फिजियोथेरेपी दिवस
ज्ञात हो कि वर्ल्ड फिजियोथेरेपी दिवस हर वर्ष 8 सितंबर को विश्वभर में मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य लोगों में स्वास्थ्य-जागरूकता फैलाना और फिजियोथेरेपी की अहमियत बताना है।
कार्यक्रम की सफलता में सहयोग
कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ. संदीप कुमार, डॉ. शमा परवीन, डॉ. तबस्सुम, डॉ. सुरभी, डॉ. रविन्द्र, डॉ. आकांक्षा, डॉ. अभिषेक, डॉ. सुशांत, डॉ. विशाल और डॉ. जयदेव का विशेष योगदान रहा।
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