भारतीय प्रशासनिक व्यवस्था में ईमानदार और निडर अधिकारियों की संख्या कम है। उन्हीं में से एक हैं भारतीय वन सेवा (IFS) के वरिष्ठ अधिकारी संजीव चतुर्वेदी, जिन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ खुलकर आवाज उठाई और समाज सेवा में अपने योगदान से भी एक अलग पहचान बनाई।
भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग
हरियाणा में कार्यकाल के दौरान संजीव चतुर्वेदी ने वन विभाग की अनियमितताओं, भूमि अतिक्रमण और वित्तीय घोटालों का पर्दाफाश किया। बाद में AIIMS, नई दिल्ली में उप सचिव और मुख्य सतर्कता अधिकारी (CVO) रहते हुए उन्होंने 200 से अधिक भ्रष्टाचार मामलों का खुलासा किया।
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उन्हें बार-बार ट्रांसफर, निलंबन और चार्जशीट का सामना करना पड़ा।
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इसके बावजूद, 2015 में रैमॉन मैग्सेसे पुरस्कार (एशिया का नोबेल) उनके नाम हुआ।
समाज सेवा में मिसाल
संजीव चतुर्वेदी ने पुरस्कार और क्षतिपूर्ति की राशि भी समाज के लिए समर्पित कर दी।
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₹19.85 लाख (मैग्सेसे पुरस्कार, 2015) – कैंसर मरीजों की सहायता हेतु AIIMS को दान।
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₹25,000 (2019 क्षतिपूर्ति) – प्रधानमंत्री राहत कोष में जमा।
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₹2.70 लाख (2019) – पुलवामा शहीदों के लिए ‘भारत के वीर’ फंड में समर्पित।
राष्ट्रपति के ऐतिहासिक आदेश
भारत के राष्ट्रपति ने उनके पक्ष में चार बार हस्तक्षेप किया और हरियाणा सरकार के अवैध आदेशों को निरस्त किया।
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2008: निलंबन रद्द।
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2011: झूठी चार्जशीट निरस्त।
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2013: एक और चार्जशीट खारिज।
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2014: ज़ीरो ACR रिपोर्ट रद्द कर “आउटस्टैंडिंग” घोषित।
यह रिकॉर्ड स्वतंत्र भारत के इतिहास में किसी भी अधिकारी के लिए पहली बार हुआ।
पर्यावरण संरक्षण में योगदान
संजीव चतुर्वेदी ने पर्यावरण संरक्षण में कई ऐतिहासिक पहल कीं –
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विश्व का पहला लाइकेन गार्डन
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भारत का पहला मॉस गार्डन
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पहला क्रिप्टोगैमिक गार्डन
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पहला फॉरेस्ट हीलिंग सेंटर
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सबसे ऊँचाई पर स्थित हर्बल गार्डन
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पहला पॉलिनेटर पार्क
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देश का सबसे बड़ा एरोमैटिक गार्डन
इन पहलों की उत्तराखंड के मुख्यमंत्री और केंद्रीय पर्यावरण मंत्री ने भी सराहना की।
अतिथि प्राध्यापक और सम्मान
विवादों और मुकदमों के बावजूद, उन्हें देश की प्रतिष्ठित संस्थाएँ जैसे –
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पुलिस अकादमी हैदराबाद
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IAS अकादमी मसूरी
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फॉरेस्ट अकादमी देहरादून
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IITs और अंतरिक्ष विभाग
Guest Faculty के रूप में आमंत्रित करती रही हैं।
वर्तमान में चर्चित मामले
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मसूरी वन प्रभाग – 7,375 सीमा स्तंभ गायब, 80% जंगल सीमा लापता।
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मुनस्यारी ईको-टूरिज्म घोटाला – 1.63 करोड़ की अनियमितताएँ, CBI और ED जांच की सिफारिश।
न्यायपालिका में अद्वितीय रिकॉर्ड
संजीव चतुर्वेदी के मामलों से जुड़े 14 न्यायाधीशों ने स्वयं को अलग (Recusal) किया।
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सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और यू.यू. ललित (बाद में मुख्य न्यायाधीश बने)।
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उत्तराखंड हाईकोर्ट और CAT सहित कई अदालतों के न्यायाधीश।
इतना बड़ा रिकॉर्ड किसी एक अधिकारी से जुड़े मामलों में पहली बार दर्ज हुआ।
नतीजा: सिस्टम में ईमानदारी चुनौतीपूर्ण
एक ऐसा अधिकारी जिसने लाखों की राशि समाज सेवा में दान कर दी, उसी पर उनके विरोधियों ने चाय-पानी के बिलों में गड़बड़ी तक का आरोप लगाया। यह दर्शाता है कि सिस्टम में ईमानदार अधिकारियों को कितनी चुनौतियाँ झेलनी पड़ती हैं।
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