उत्तराखंड के एक वरिष्ठ आई.एफ.एस.को उत्तराखण्ड शासन के वन अनुभाग ने ‘कारण बताओ नोटिस’ जारी कर 15 दिनों के भीतर जवाब देने को कहा है । विश्वविख्यात कॉर्बेट नैशनल पार्क के इस निदेशक पर टाइगर रिजर्व में भारी वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगा है, जिसपर स्पस्टीकरण मांगा जा रहा है ।
उत्तराखंड शासन के वन विभाग के द्वारा 12 अप्रैल को कॉर्बेट निदेशक के नाम पर जारी एक पत्र में मोरपट्टी और पाखरौ वन विश्राम गृह परिसर में भवनों का निर्माण, कार्बेट नैशनल पार्क की कंडी रोड निर्माण, पाखरी वन विश्राम गृह के समीप जलाशय का निर्माण, पाखरी में प्रस्तावित टाईगर सफारी में वृक्षों के अवैध कटान और भारतीय वन अधिनियम 1927 वन(संरक्षण)अधिनियम 1980, वन्यजीव(संरक्षण)अधिनियम 1972 और वित्तीय नियमों के उल्लंघन के संबंध में प्रमुख वन संरक्षक(हॉफ)के पत्रों के माध्यम से गठित पांच सदस्यीय समिति की सात फरवरी 2022 की रिपोर्ट का संज्ञान लेने को कहा है ।
जारी नोटिस में ये भी कहा गया है कि पांच सदस्यीय समिति की रिपोर्ट में कण्डी रोड निर्माण, मोरघट्टी और पाखरी वन विश्राम गृह परिसर में भवनों का निर्माण, पाखरौ वन विश्राम गृह के समीप जलाशय का निर्माण तथा पाखरी में प्रस्तावित टाइगर सफारी में वृक्षों के अवैध पातन के संबंध में गंभीर प्रशासनिक, वित्तीय विधिक और आपराधिक अनियमिततायें उजागर हुई हैं। पत्र के माध्यम से निदेशक को कहा गया है कि आप पर नैशनल टाइगर कंजर्वेशन एक्ट को प्रस्ताव भेजे जाने संबंधी कार्यों में योगदान न करने और लापरवाही बरतना भी परिलक्षित हुआ है अतः आपका यह कृत्य अखिल भारतीय सेवा(आचरण)नियमावली 1968 के विरूद्ध है।
अपर प्रमुख वन संरक्षक, प्रशासन, आनंद वर्धन के हस्ताक्षरों वाले इस पत्र में निदेशक राहुल से नियमविरुद्ध कार्यवाही करने पर अखिल भारतीय सेवायें(अनुशासन एवं अपील)नियमावली 1969 के प्राविधानों के अन्तर्गत अनुशासनिक कार्यवाही अमल में लाने की बात कही गई है। निदेशक को अपना स्पष्टीकरण प्रमुख वन संरक्षक(हॉफ)कार्यालय शासन में इस “कारण बताओ नोटिस” की प्राप्ति से 15 दिनों के भीतर देने को कहा गया है ।