देहरादून: अक्सर विवादों एवं चर्चाओं में रहने वाले आयुष विभाग के आयुर्वेद विभाग में बिना किसी नियम के चिकित्सा अधिकारियों के स्थानान्तरण हो रहे हैं। ये हाल तब है जब आयुष विभाग स्वयं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के पास है। लेकिन शासन में बैठे हुए अधिकारी मुख्यमंत्री की आंखों में धूल झोंककर आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारियों के बेमौसम स्थानान्तरण पर स्थानांतरण किए जा रहे हैं। जिससे कि धाकड़ धामी के जीरो टालरेंस की साख पर बट्टा लग रहा है। और ये काम स्वयं शासन में बैठे हुए विभागीय अधिकारियों द्वारा ही किया जा रहा है। जबकि सरकारी कार्मिक के स्थानान्तरण के सम्बन्ध में सम्बंधित धारा एवं स्थानान्तरण प्रकिया का उल्लेख किया जाना आवश्यक है। साथ ही स्थानान्तरण आदेश निर्गत किए जाने पश्चात उसे उत्तराखंड की वेबसाइट पर भी प्रदर्शित किया जाना आवश्यक है।
इसका उदाहरण है हाल ही में एक के बाद एक जारी आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारियों की दो स्थानांतरण आदेश। एक स्थानांतरण आदेश संख्या – 1330/XL-I 2023-175/2010, देहरादून, दिनांक – 03 अगस्त 2023 को जारी किया जाता है तो दसरा स्थानांतरण आदेश संख्या – /XL-1/2023-175/2000 देहरादून, दिनांक – 23 अगस्त 2023 को जारी किया जाता है।
पहले स्थानान्तरण आदेश में डॉ० सिद्धी मिश्रा(भूतपूर्व आयुर्वेद निदेशक डॉ० पूजा भारद्वाज की पुत्रवधू ), दुर्गम में तैनाती के बावजूद 31-08-2013 से 12-04-2017 एवं 19-04-2017 से 11-01-2023 तक सुगम में सम्बद्ध (लगभग 9 वर्ष तक)। फिर सम्बद्धता समाप्त होने के बाद केवल कुछ माह ही अपनी मूल नियुक्ति पर गयी। उसके तुरंत बाद फिर सुगम में स्थानांतरित हो गयी। जबकि नियमानुसार न्यूनतम 3 वर्षों की अनिवार्य दुर्गम सेवा के बाद ही सुगम में स्थानान्तरण हो सकता है। साथ ही नियमानुसार दुर्गम से सुगम में स्थानान्तरण हेतु पात्र कार्मिकों से 10 विकल्प मांगकर पात्र कार्मिकों की सूची एवं रिक्त पदों का विवरण वेबसाइट पर डालना आवश्यक है। अपात्र कार्मिकों के स्थानान्तरण भी कर दिए जा रहे हैं।
साथ ही दोनों ही स्थानान्तरण आदेशों में नियमित आयुर्वेदिक चिकित्सा अधिकारियों के स्थानान्तरण मेडिकल आफिसर सामुदायिक स्वास्थ्य (MOCH) के पदों पर PHC/CHC छिद्दरवाला, नेहरूग्राम, मेहुवाला देहरादून आदि इत्यादि में कर दिए गए हैं। ऐसा ही अन्य जिलों में भी किया गया है। जबकि शासन द्वारा MOCH को मृत संवर्ग (Dead Cadre) घोषित किया जा चुका है और उसमें भी शासन द्वारा स्थानान्तरण कर दिए गए हैं। जो पद ही समाप्त हो चुका उस पर भला कैसे स्थानांतरण किया जा सकता है, लेकिन उत्तराखंड में आयुष विभाग के नौकरशाहों ने ये कारनामा भी कर दिखाया है, इससे बड़ा भ्रष्टाचार का जीता जागता उदाहरण ओर क्या हो सकता है। क्या इसी तरह से धामी सरकार की भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम को नौकरशाह ऐसे ही मुख्यमंत्री की आंखों में धूल झोंककर चूना लगाते रहेंगे। क्या मुख्यमंत्री ऐसे बेलगाम हो चुके अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई करेंगे।