हरिद्वार में आबकारी विभाग के एक प्रशासनिक अधिकारी ने अपनों को ही दुकान आवंटन मे सरकार को चार करोड़ का फटका लगा दिया है।
हरिद्वार में आबकारी विभाग के बाबू ने अपने ही रिश्तेदार को 11 करोड़ की दुकान 7 करोड़ में कर दी आवंटित, अब हाईकोर्ट पहुंचा मामला तो सरकार से किया गया जवाब तलब, पूरे मामले की भनक तक सरकार को नहीं लगी। जानकारी के अनुसार आबकारी विभाग में तैनात एक प्रशासनिक अधिकारी ने ये पूरा खेल रचा।
दरअसल राजेश कुमार व स्वाती चौहान को रोशनाबाद में शराब की दुकान आवंटित हुई है। जिसका बेस प्राइस करीब 11 करोड़ रुपये था जो पहले साल में 13 करोड़ 77 लाख रहा था। 28 मार्च को प्रशासनिक अधिकारी यानि आबकारी विभाग के बाबू ने नियमों का हवाला देते हुए दुकान को वापस देने को कहा और 29 तारिख को ही दुकान आवंटन की विज्ञप्ति जारी कर दी गई। जबकि नियामानुसार दुकान को सरेंडर प्रार्थना पत्र के एक माह बाद होना होता है।
फिर कर दी अपनों को आवंटित
आपको बता दे कि राजू नामक शख्स ने इस दुकान को लेने के लिये आवेदन किया था। लेकिन उसको बाहर से ही वापस भेज दिया गया है।इसके बाद बाबू यानि प्रशासनिक अधिकारी ने अपने करीबी मनिष राठी को 11 करोड़ के बजाए ये दुकान 7 करोड़ में ही आवंटित कर दी. और सीधे तौर पर 4 करोड़ का नुकसान सरकार को झेलना पड़ा. इस मामले में शिकायत दर्ज की गई तो बड़े खेल में किसी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। अब हाईकोर्ट मामला आया तो दीपक राजपूत यानि प्रशासनिक अधिकारी की फर्म का सच भी सामने आ गया मां राजेश्वरी ट्रेडर्स के नाम पर बनी इस फर्म में दीपक राजपूत की मां, पत्नी, भाई के साथ परिवार के अन्य लोग शेयर होल्डर हैं।
जानकारी के अनुसार तीन दुकानें कांगड़ी में देशी व अंग्रेजी और रोशनाबाद में देशी शराब की दुकान पहले से ही ये संचालित करते हैं। याचिकाकर्ता ने कोर्ट में याचिका दाखिल कर पूरे मामले की जांच दीपक राजपूत के खिलाफ मांगी तो 7 अप्रैल 2022 को प्रशासनिक अधिकारी ने नौकरी से वीआरएस के लिये प्रार्थना पत्र दाखिल कर दिया है। सरकार ने इस बाबू पर कार्रवाई करने की जगह 13 अप्रैल को वीआरएस स्वीकृत कर दिया है।