‘बाल विवाह मुक्त भारत’ अभियान के तहत गैर सरकारी संगठन समर्पण सोसाइटी फॉर हेल्थ रिसर्च एंड डेवलपमेंट द्वारा एक दिवसीय जिला स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया जिस में देहरादून जिले में बाल अधिकारों पर कार्य कर रही सरकारी एवं गैरसरकारी संस्थानों के द्वार प्रतिभाग किया गया कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य कैलाश सत्यार्थी फाउंडेशन, यूएस के सहयोग से बच्चो के बाल अधिकारों एवं बाल संरक्षण के लिए चलाये जा रहे अभियान Access to Justice Phase 2 जनपद देहरादून एवं नैनीताल में गैरसरकारी समर्पण सोसाइटी द्वार संचलित किया जा रहा हैं |
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री दिगंबर चौहान ने कहा बाल विवाह की चुनौती का सामना करने के रास्ते में उल्लेखनीय प्रगति हुई है लेकिन बहुत कुछ बाकी है क्योंकि देश अभी उस टिपिंग प्वाइंट यानी उस बिंदु पर नहीं पहुंच पाया है जहां छोटे बदलावों और घटनाओं की श्रृंखला इतनी बड़ी हो जाती है जो एक बड़ा और आमूल परिवर्तन कर सकें। भारत में बाल विवाह की मौजूदा दर 23.3 प्रतिशत है और यूनीसेफ का अनुमान है कि अगर पिछले दस साल से हुई प्रगति जारी रही तो 2050 तक जाकर भारत में बाल विवाह की दर घट कर छह प्रतिशत पर आ पाएगी। यह एक परेशान करने वाला आंकड़ा है और इसका मतलब है कि 2023 से लेकर 2050 के बीच सात पीढ़ियों तक बाल विवाह का दंश बच्चों से उनका बचपन छीनता रहेगा।
समर्पण सोसाइटी के अध्यक्ष श्री विपिन पंवार जी द्वारा बताया गया कि गैर सरकारी संगठन देश के कोने-कोने के 288 जिलों में कार्यरत 160 संगठनों के साथ मिल कर स्थानीय और जमीनी स्तर पर बाल विवाह के खात्मे के लिए काम कर रहा है देहरादून जिला में अभी तक 35000 व्यक्तियों को समूह में ,15000 परिवारो और 500 व्यक्तिगत को बाल विवाह मुक्त भारत’ अभियान के तहत शपथ दिलवाई गयी । श्री गजेंदर नौटियाल समन्वयक बचपन बचाओ अभियान, जिला बाल संरक्षण इकाई, जिला बाल कल्याण समिति , एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट , बचपन बचाओ आन्दोलन , सिटी चाइल्डलाइन , रेलवे चाइल्ड लाइन , पर्वतीय बाल मंच , श्री भुवनेश्वरी महिला आश्रम आदि के प्रतिनिधि उपस्थित रहे साथ ही |