ब्यूरो न्यूज़ उत्तराखंड ब्रॉडकास्ट
उत्तराखंड के पहाड़ी पंचायतों से अजब गजब कारनामें विकास के सामने आते हैं,इस बार एक उदाहरण आया है जिला पंचायत बागेश्वर की जिला पंचायत क्षेत्र शामा से।
अपर मुख्य अधिकारी जिला पंचायत बागेश्वर से प्राप्त एक आरटीआई के प्रथम बिंदु के अनुसार वर्ष 2022-23 में वित्त 15 के तहत शामा क्षेत्र में रामलीला मैदान की दीवार हेतु रुपए 2 लाख जिला पंचायत अध्यक्ष के सौजन्य से कार्यदायी संस्था जिला पंचायत बागेश्वर को स्वीकृत किए जाते हैं,आरटीआई के दूसरे बिंदु पर जब यह पूछा जाता है कि उक्त दीवार के निर्माण के लिए कितना बजट दे दिया गया है तो उसका जवाब भी वही होता है,लेकिन जब तीसरे बिंदु पर उक्त दीवार की रंगीन फोटो मांगी जाती है तो बताया जाता है सूचना धारित नहीं है,मौके पर फिलहाल कोई दीवार नहीं बनी है।
यहां खबर रोचक इसलिए हो जाती है कि इन दिनों सोशल मीडिया में एक बोर्ड उक्त दीवार को लेकर वायरल है और आरटीआई भी बताती है बजट दे दिया गया है।
अब सवाल यह खड़ा हो रहा है आखिर उक्त दीवार कहां है यदि बजट दे दिया गया है और यदि बजट नहीं दिया गया है तो जो बजट जिला पंचायत बागेश्वर कार्यदायी संस्था को स्वीकृत 2022-23 में कर दिया गया था तो आज तक जिम्मेदार अधिकारी कहां है आखिर क्यों निर्माण कार्य आज तक नहीं हुआ,मौके पर फिलहाल एक भी ईट नहीं लगी है और अब तक जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा इस पर कोई कदम नहीं उठाया गया है।
वही जब इस संदर्भ में हमने जिला पंचायत अध्यक्षा बागेश्वर श्रीमती बसंती देवी जी से संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि आरटीआई लगाने से यह मामला संज्ञान में आ चुका था और फिलहाल बजट रोक दिया गया है जिसके लिए अधिकारियों को निर्देशित कर दिया गया है,जब बोर्ड के बारे में हमने उनसे पूछा तो उन्होंने बताया कि वह बोर्ड फर्जी है जिसकी जांच की जाएगी उनका कहना हैं बजट स्वीकृत कर दिया था लेकिन जेई और कोई अधिकारी वहां गया ही नहीं,वही जब इस संदर्भ में जिम्मेदार अधिकारियों से बात की गई तो उनका कहना है कि फिलहाल बजट नहीं दिया गया है।
शामा जिला पंचायत सदस्य हरीश ऐठानी जी का कहना हैं मामला उनके संज्ञान में आया हैं,बजट जिला पंचायत अध्यक्षा द्वारा दिया गया था,अभी दीवार का निर्माण नहीं शुरू हुआ हैं क्योंकि मामला मेरे निर्वाचित क्षेत्र के विकास से जुड़ा है इस संदर्भ में जिम्मेदार अधिकारियों से जल्द बात करूंगा।
शामा क्षेत्र के रहने वाले उत्तराखंड बेरोजगार संघ के कुमाऊं संयोजक भूपेंद्र कोरंगा से जब हमने संदर्भ में बात करी तो उन्होंने कहा कि रामलीला मैदान में अभी तक कोई दीवार नहीं बनी,दीवार की एक ईंट भी नहीं रखी गई,लेकिन आरटीआई बता रही है बजट दे दिया गया है साथ ही बोर्ड भी सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है,सीधा सवाल हैं दीवार का स्वीकृत 2 लाख रुपया कहां हैं,जब बजट स्वीकृत हैं तो दीवार क्यों नहीं बनी,कहीं ना कहीं इस कार्य को लेकर विरोधाभास की स्थिति अब पैदा हो चुकी है,जिला पंचायत बागेश्वर के अधिकारियों से संदर्भ में अपर मुख्य अधिकारी जिला पंचायत बागेश्वर को पत्र लिखा हैं और उनसे इसकी जांच के लिए 48 घंटे के भीतर रामलीला मैदान में उपस्थित होने का अनुरोध किया है,साथ ही यह भी स्पष्ट बता दिया गया है कि यह कहीं ना कहीं भ्रष्टाचार की तरफ इशारा कर रहा है कि बागेश्वर में खुला भ्रष्टाचार हो रहा है और अधिकारियों की कार्यशैली पर भी सीधा सवाल खड़ा होता है क्योंकि क्षेत्र के विकास के लिए जो बजट स्वीकृत हो गया है आखिर धरातल पर वह कार्य लंबे समय तक क्यों नहीं हो पाए,आखिर क्यों अधिकारी धरातल पर जाकर कार्य नहीं कर रहे हैं,बल्कि सिर्फ कुर्सियों पर बैठकर काम कर रहे हैं जल्द ही बागेश्वर में व्यापक भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन किया जाएगा।
उत्तराखंड के पहाड़ों पर पहले तो चुने हुए जनप्रतिनिधि असंवेदनशील हमेशा रहते आए हैं,सिर्फ पंचायत ही नहीं चुने हुए विधायक सांसद भी पहाड़ों को छोड़कर देहरादून हल्द्वानी दिल्ली के बंगलो को आवास बना लेते हैं,वही अधिकारी कहीं ना कहीं अपनी जिम्मेदारी के प्रति बिल्कुल भी गंभीर नहीं है और ऐसे प्रकरण को देखकर यह भी लगता है कि उत्तराखंड के पहाड़ी जनपदों में विकास के नाम पर खेल हो रहा है जिसके लिए प्रतिनिधियों से लेकर अधिकारी सभी कहीं ना कहीं जिम्मेदार है या यूं कहे कि उनके संज्ञान में सब कुछ होने के बाद भी मूकदर्शक बने हुए।
उत्तराखंड आंदोलन से मिला राज्य आज भी मूलभूत सुविधाओं से जूझ रहा है,जबकि पंचायत के पास बजट की कमी नहीं स्वीकृत बजट भी हैं पर जिम्मेदार अधिकारी निर्माण नहीं कर पा रहे हैं यह अधिकारियों की कार्यशाली पर सवाल तो खड़े करता है।
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