ब्यूरो न्यूज़ उत्तराखंड ब्रॉडकास्ट
उत्तराखंड में मानसून सत्र राज्य की ग्रीष्म कालीन राजधानी में होना हैं जिसका आदेश हो चुका हैं,प्रशासनिक अमला जिसकी तैयारी में जुट गया हैं,जिस तरह राम मंदिर करोड़ों लोगों की आस्था का विषय था उसी तरह पर्वतीय राज्य के उत्तराखंड के पर्वतीय समाज के लिए भी स्थाई राजधानी गैरसैंण उनकी राजनीतिक आस्था का विषय हैं।
उत्तराखंड सरकार द्वारा गैरसैंण में सत्र आहूत किये जाने की घोषणा का उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने स्वागत किया है।
दसौनी ने कहा कि गैरसैण हमारे शहीदों और राज्य आंदोलनकारियों की भावनाओं और उनके संघर्षों का प्रतीक है, ऐसे में गैरसैण को पूर्व में भाजपा सरकार के द्वारा ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किए जाने के बावजूद लगातार गैरसैण की जिस तरह से अनदेखी हो रही है वह बहुत निराशाजनक है परंतु राज्य सरकार ने मानसून सत्र गैरसैण में करने का जो फैसला लिया है वह स्वागत योग्य है,गरिमा ने कहा कि गैरसैण में सत्र मात्र तीन दिवसीय करना उत्तराखंड की जनता के साथ धोखा हैं, उत्तराखंड राज्य वैसे ही सत्तर विधानसभाओं का छोटा सा राज्य है ऐसे में कम से कम क्षेत्रीय जनता ने अपने जनप्रतिनिधियों को जिस काम के लिए चुना था वह था कि चुने हुए विधायक क्षेत्र और क्षेत्र वासियों की समस्याओं को सदन में उठाएं। इसलिए यह जरूरी भी है कि सत्र के दौरान सभी विधायकों को थोड़ा ही सही लेकिन अपनी क्षेत्रीय
समस्याओं को उठाने का मौका मिले।
दसौनी ने कहा कि वैसे भी राज्य में बहुत सारे मुद्दे ऐसे हैं जिन पर चर्चा होनी जरूरी है चाहे वह वनाग्नि हो, चाहे चार धाम यात्रा की अव्यवस्थाएं हो,चाहे उद्यान घोटाला हो,चाहे भर्ती घोटाले हो, पर्यावरण की दृष्टि से उत्तराखंड में अंधाधुंध पेड़ों का कटान हो, भूस्खलन और आपदा जैसी घटनाओं में वृद्धि हो या फिर इस समय राज्य में चल रहे रेस्क्यू ऑपरेशन हो,सवाल जवाब और चर्चा से ही विधानसभा सत्र सार्थक होगा।
3 दिन का सत्र न सिर्फ उत्तराखंड की जनता के साथ धोखा है बल्कि मात्र खाना पूर्ति।
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