सौड़ (उत्तरकाशी)
ग्रामसभा सौड़-सांकरी में आज प्रातः 08:00 बजे से शुरू हुआ ‘पर्यावरण मेला’ हरियाली और उत्साह का प्रतीक बन गया। इस अवसर पर ग्रामीणों, माताओं-बहनों, युवाओं, बुजुर्गों और विद्यालयों के बच्चों ने एकजुट होकर सैकड़ों पौधे लगाए। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य घटती वनसंपदा, बढ़ते तापमान और बदलते जलवायु चक्र से पैदा हो रही चुनौतियों पर सामूहिक पहल करना है।
पर्यावरण संकट से निपटने की सामूहिक पहल
आयोजन के मुख्य प्रवर्तक सुमन सिंह रावत (अध्यापक) ने बताया कि लगातार घटते जंगलों के कारण जल स्रोत सूख रहे हैं, ग्लेशियर पिघल रहे हैं, महामारियां फैल रही हैं और जंगली जानवरों का गांवों की ओर रुख बढ़ गया है। यह स्थिति चिंताजनक है और इससे निपटने के लिए गांव स्तर पर ठोस कदम उठाना समय की मांग है।
वृक्षावंधन अभियान का सहयोग
कार्यक्रम में वृक्षावंधन अभियान के संस्थापक पं. मनोज ध्यानी और उनकी संस्था के सदस्यों ने विशेष रूप से भाग लिया। संस्था ने न केवल निशुल्क पौधे उपलब्ध कराए बल्कि ग्रामीणों को पौधारोपण की तकनीक, देखभाल और संरक्षण के महत्व पर भी मार्गदर्शन दिया।
हर वर्ष होगा ‘पर्यावरण मेला’
ग्रामवासियों ने संकल्प लिया कि हर वर्ष एक दिन को ‘पर्यावरण दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा और सामूहिक वृक्षारोपण कर गांव को पर्यावरणीय आदर्श ग्राम बनाने की दिशा में निरंतर कार्य किया जाएगा।
पर्यटन और संस्कृति को भी मिलेगा लाभ
सुमन सिंह रावत ने कहा कि सौड़ एक महत्वपूर्ण पर्यटन गांव है, जहां से हर की दून, केदारकांठा जैसे विश्व-प्रसिद्ध ट्रेक्स के लिए देश-विदेश से पर्यटक आते हैं। यदि यहां लगातार पर्यावरणीय पहलें होती रहेंगी, तो न केवल पर्यावरण बल्कि हमारी संस्कृति, जंगल, जल और जमीन भी सुरक्षित रहेंगे और पर्यटकों का आकर्षण भी बढ़ेगा।
गांव में उत्साह का माहौल
सुबह से ही गांव के लोग पारंपरिक वेशभूषा में कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे। महिलाओं ने पौधारोपण के माहौल को और भी जीवंत बना दिया। विद्यालयों के बच्चों ने पर्यावरण संरक्षण पर नारे लगाए और पोस्टर प्रदर्शनी लगाई।
आयोजकों ने उम्मीद जताई कि स्थानीय, राज्य और राष्ट्रीय मीडिया इस पहल को प्रचारित करेगा ताकि अधिक से अधिक लोग इससे प्रेरणा लेकर अपने-अपने क्षेत्रों में ऐसे कार्यक्रम आयोजित करें।
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