लोकसभा क्षेत्रों के आधार पर प्रतिनिधित्व की रणनीति
इस बार मंत्रिमंडल विस्तार में गढ़वाल और कुमाऊं (Garhwal & Kumaon) के बीच संतुलन के बजाय लोकसभा क्षेत्रों के आधार पर प्रतिनिधित्व देने की योजना बनाई जा रही है।
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हर लोकसभा क्षेत्र से दो-दो विधायकों को मंत्री बनाए जाने का फॉर्मूला तैयार हो रहा है।
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कुमाऊं मंडल से दो नए विधायकों को मंत्री बनाए जाने की संभावना है।
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गढ़वाल में मंत्रियों की संख्या बढ़ सकती है।
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हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र का फिलहाल कोई प्रतिनिधित्व नहीं है, जिसे इस बार शामिल किया जा सकता है।
सीएम कैंप कार्यालय में बढ़ी हलचल
कैबिनेट विस्तार की अटकलों के बीच मुख्यमंत्री धामी के कैंप कार्यालय और सचिवालय में विधायकों की आवाजाही तेज हो गई है। हाल ही में कैबिनेट मंत्री रेखा आर्या, विधायक शक्तिलाल शाह, दुर्गेश्वर लाल और रेनू बिष्ट ने सीएम से मुलाकात की। इसके अलावा राजपुर रोड विधायक खजान दास और कई अन्य विधायक भी मुख्यमंत्री आवास पहुंचे।
मौजूदा मंत्रियों की होगी समीक्षा
भाजपा हाईकमान मौजूदा मंत्रियों के प्रदर्शन की समीक्षा कर रहा है। जिन मंत्रियों का कामकाज संतोषजनक नहीं रहा, उन्हें मंत्रिमंडल से हटाकर संगठन में नई जिम्मेदारी दी जा सकती है।
वर्तमान में धामी मंत्रिमंडल में 5 मंत्री पद खाली हैं।
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2022 से ही कुछ पद रिक्त हैं।
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2023 में मंत्री चंदन राम दास के निधन और
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2025 में वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के इस्तीफे के बाद रिक्तियां बढ़ी हैं।
किन चेहरों को मिल सकता है मौका?
कई विधायकों के नाम इस बार मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए चर्चा में हैं:
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खजान दास
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मदन कौशिक
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प्रदीप बत्रा
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विनोद कंडारी
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भरत चौधरी
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बंशीधर भगत
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राम सिंह कैड़ा
हरिद्वार जिले से प्रदीप बत्रा का नाम सबसे अधिक चर्चा में है। उन्होंने कहा, “यह संगठन का निर्णय है, लेकिन जो भी जिम्मेदारी मिलेगी, उसे पूरी निष्ठा से निभाऊंगा।”
हाईकमान लेगा अंतिम फैसला
सीएम धामी ने संकेत दिए हैं कि मंत्रिमंडल विस्तार पर विचार चल रहा है। अंतिम फैसला भाजपा हाईकमान लेगा। जल्द ही मुख्यमंत्री दिल्ली जाकर केंद्रीय नेतृत्व से मुलाकात कर सकते हैं। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने भी माना कि अब यह कदम उठाने का सही समय है।
2027 चुनाव पर नजर
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह विस्तार सीधे 2027 विधानसभा चुनाव की रणनीति से जुड़ा है।
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नए चेहरों को मौका देकर भाजपा युवाओं और क्षेत्रीय संतुलन साधना चाहती है।
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मौजूदा मंत्रियों के विभागों में फेरबदल भी संभव है।
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पार्टी संगठन और सरकार को चुनावी दृष्टि से और मजबूत करने पर जोर है।
यह मंत्रिमंडल विस्तार तय करेगा कि धामी सरकार (Dhami Sarkar) आने वाले दो वर्षों में अपनी राजनीतिक छवि और रणनीति को किस तरह मजबूत करती है। अब सबकी निगाहें भाजपा हाईकमान के फैसले और मुख्यमंत्री धामी के दिल्ली दौरे पर टिकी हैं।
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