देहरादून: उत्तराखंड में लंबे समय से अटके सहकारिता (Cooperative) चुनावों को लेकर अब बड़ी राहत की खबर आई है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में सहकारिता समितियों के चुनाव की मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही पंचायत चुनाव के बाद प्रदेश में सहकारिता समितियों के लिए भी मतदान की प्रक्रिया शुरू होने जा रही है।
क्यों रुके थे चुनाव?
दरअसल, महिलाओं को आरक्षण देने के खिलाफ कुछ लोगों ने कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसके चलते सहकारिता चुनावों की प्रक्रिया पर रोक लग गई थी। यह मामला पहले हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। अब सुप्रीम कोर्ट से मिली हरी झंडी के बाद सभी अटकलें समाप्त हो गई हैं।
चुनाव ना होने से क्या था असर?
पिछले डेढ़ साल से सहकारिता विभाग की सबसे ज़रूरी इकाई PACS समितियों के चुनाव नहीं हो पाए थे। इसका असर ये हुआ कि सहकारी योजनाएं समितियों के ज़रिए नहीं, बल्कि जिला विकास अधिकारियों के माध्यम से लागू हो रही थीं। इससे न केवल पारदर्शिता पर असर पड़ा, बल्कि जनभागीदारी भी प्रभावित हुई।
“300 करोड़ के फायदे में है कोऑपरेटिव सेक्टर” – सुभाष रमोला
टिहरी जिला सहकारी बैंक के निवर्तमान अध्यक्ष एवं प्रादेशिक कोऑपरेटिव यूनियन के निदेशक सुभाष रमोला ने जानकारी दी कि सहकारिता विभाग वर्ष 2018 में 57 करोड़ के घाटे में था, लेकिन अब 300 करोड़ रुपये के मुनाफे में पहुंच चुका है। उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि विभाग के अथक प्रयासों से संभव हो पाई, लेकिन लंबे समय से चुनाव न होने से इस पर असर पड़ सकता है।
सरकार का रुख और अगला कदम
सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत लगातार पारदर्शी चुनाव प्रक्रिया के पक्ष में रहे हैं। उन्होंने यह सुनिश्चित किया है कि चुनाव निष्पक्ष तरीके से संपन्न हों। अब सुप्रीम कोर्ट से मंजूरी मिलने के बाद चुनाव आयोग जल्द ही शेड्यूल जारी कर सकता है।
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