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9 साल से मुआवजे के लिए लड़ रही थी विधवा
2016 में एक कम्युनिटी हेल्थ सेंटर में ड्यूटी के दौरान डॉक्टर की हत्या कर दी गई थी। उस समय की सरकार ने डॉक्टर के परिवार को 50 लाख रुपये मुआवजा देने की घोषणा की थी, लेकिन अब तक महिला को केवल 1 लाख रुपये ही मिले थे। सरकार ने यह कहते हुए राशि देने से इनकार कर दिया था कि नियमों के अनुसार इतनी बड़ी रकम का भुगतान संभव नहीं है।
कोर्ट ने सरकार को लगाई फटकार
सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति जे. के. माहेश्वरी और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की खंडपीठ ने सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि परिवार को ब्याज सहित मुआवजा दिया जाना चाहिए। 9 सालों के ब्याज सहित कुल मुआवजा राशि 1 करोड़ रुपये तय की गई थी, लेकिन सरकार द्वारा पहले दिए गए 11 लाख रुपये घटाकर अब 89 लाख रुपये देने का आदेश दिया गया है।
सरकार ने पहले दिया था 11 लाख का भुगतान
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने अदालत को बताया कि परिवार को पहले ही 11 लाख रुपये का भुगतान किया जा चुका है। 2021 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर परिवार को छुट्टियों का पैसा, ग्रैच्युटी, जीपीएफ, फैमिली पेंशन और जीआईएस दिया गया था। साथ ही उनके बेटे को स्वास्थ्य विभाग में जूनियर असिस्टेंट के रूप में नियुक्त किया गया था।
अगली सुनवाई 22 अप्रैल को
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया है कि वह ब्याज सहित मुआवजा राशि का भुगतान करे और रजिस्ट्री के समक्ष अनुपालन हलफनामा प्रस्तुत करे। मामले की अगली सुनवाई 22 अप्रैल को होगी।
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