उत्तराखंड हाईकोर्ट ने उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) द्वारा कई अभ्यर्थियों पर प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल होने पर लगाए गए पांच साल के प्रतिबंध को रद्द कर दिया है। इस फैसले से 100 से अधिक अभ्यर्थियों को बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने आयोग और राज्य सरकार से इस मामले में जवाब दाखिल करने के भी निर्देश दिए हैं।
न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की एकलपीठ में याचिकाकर्ता प्रीति की याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में कहा गया कि वर्ष 2020 में हुई स्नातक स्तरीय परीक्षा में उनका चयन हुआ था और दस्तावेजों का सत्यापन भी किया गया था। बाद में परीक्षा में पेपर लीक की शिकायत सामने आने पर आयोग ने एसटीएफ से जांच कराई, जिसमें पेपर लीक की पुष्टि हुई।
इसके बाद आयोग ने कई अभ्यर्थियों को कारण बताओ नोटिस भेजे। अभ्यर्थियों ने आयोग को अपना जवाब भी दिया, लेकिन आयोग संतुष्ट नहीं हुआ और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराते हुए उन्हें आगामी पांच वर्षों तक सभी प्रतियोगी परीक्षाओं से वंचित कर दिया।
हाईकोर्ट ने कहा कि UKSSSC के पास ऐसा प्रतिबंध लगाने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है। मामले की अगली सुनवाई जून में होगी।