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उत्तराखंड के लिए राष्ट्रीय गौरव का क्षण
देहरादून— उत्तराखंड में खनन डिजिटल परिवर्तन एवं निगरानी प्रणाली की सफलता अब राष्ट्रीय पहचान बनती जा रही है। इसी उपलब्धि से प्रेरित होकर जम्मू-कश्मीर (J&K) ने अपने राज्य में भी इस तरह की उन्नत प्रणाली लागू करने का निर्णय लिया है। यह उत्तराखंड के लिए गर्व का क्षण है, क्योंकि अब इसकी नीतियों और तकनीकी प्रगति को अन्य राज्य मॉडल के रूप में अपना रहे हैं।
इस कड़ी में जम्मू-कश्मीर भूविज्ञान एवं खनन निदेशालय के पांच वरिष्ठ अधिकारी 18 से 22 अगस्त 2025 तक देहरादून का दौरा करेंगे। इस दल का नेतृत्व निदेशक एस.पी. रूकवाल करेंगे। इनके साथ शामिल होंगे:
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मोहम्मद अशरफ वानी (अंडर सेक्रेटरी, माइनिंग)
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संजीव गुप्ता (सीनियर ड्रिलिंग इंजीनियर)
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खुर्शीद अहमद मीर (खनिज अधिकारी)
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मोहित थापा (अकाउंट्स ऑफिसर)
यह दल उत्तराखंड की खनन परियोजना की बारीकियों को समझेगा और देहरादून स्थित राज्य खनन नियंत्रण केंद्र तथा जिला मुख्यालयों में स्थापित मिनी कमांड सेंटर्स का निरीक्षण करेगा। अधिकारी अहमदाबाद स्थित बीआईएसएजी (Bhaskaracharya Institute for Space Applications and Geoinformatics) का भी दौरा करेंगे।
गौरतलब है कि यह स्मार्ट निगरानी प्रणाली, जो भारत सरकार के उपक्रम एम/एस आईटीआई लिमिटेड द्वारा विकसित की गई है, अवैध खनन और खनिज परिवहन पर प्रभावी नियंत्रण में सहायक सिद्ध हुई है। इसमें बुलेट कैमरे, आरएफआईडी राडार और एलईडी फ्लडलाइट्स से युक्त चेक गेट्स शामिल हैं, जो खनन गतिविधियों की लाइव मॉनिटरिंग की सुविधा देते हैं।
जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने उत्तराखंड निदेशालय से दौरे की तिथियों की पुष्टि और परियोजना के पूर्ण संचालन की जानकारी भी मांगी है। दौरे के बाद अधिकारी अपने अनुभवों और अनुशंसाओं पर आधारित रिपोर्ट जेएंडके के प्रशासनिक विभाग को सौंपेंगे।
उत्तराखंड के लिए यह एक और उपलब्धि है कि राज्य की नवाचारपूर्ण प्रणाली न सिर्फ कारगर साबित हो रही है, बल्कि अन्य राज्यों को भी नई दिशा दिखा रही है — विशेषकर पहाड़ी क्षेत्रों में अवैध खनन की चुनौती से निपटने के लिए।
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