देहरादून: चौबट्टाखाल विधानसभा अंतर्गत एकेश्वर ब्लॉक के ढंगसयोली गाँव में हालिया गुलदार के जानलेवा हमले ने स्थानीय निवासियों की नींद उड़ा दी है। परिवारों की सुरक्षा दाव पर लगी हुई है और लोग शासन‑प्रशासन के नरम, अव्यवस्थित और ढुलमुल रवैये पर खफ़ा हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि सिर्फ मुआवजे की घोषणाओं से समस्या हल नहीं होगी — स्थायी सुरक्षा और वन्यजीव‑मानव टकराव रोकने की ठोस रणनीति चाहिए।
मुख्य बिंदु:
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ढंगसयोली गाँव में हालिया गुलदार के हमले में स्थानीय लोग भय और असुरक्षा में जी रहे हैं।
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ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन सिर्फ मुआवजे की घोषणा कर देता है, पर प्रभावी सुरक्षा बंदोबस्त नहीं कर रहा।
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लोगों ने चेतावनी दी है कि यदि शासन‑प्रशासन ने जिम्मेदारी नहीं ली तो जनता सड़कों पर और जंगलों में खुद कदम उठा सकती है — यह स्थिति और गंभीर बन सकती है।
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निवासियों ने पिंजड़े लगाने और कुशल वन विभाग टीम, रात्री गश्त और तत्काल बचाव तंत्र की मांग की है।
गाँववालों की प्रतिक्रिया:
ढंगसयोली के कई ग्रामीणों ने संवाद में कहा — “हम बार‑बार मुआवजा सुनते आ रहे हैं, पर हमारी जिंदगियाँ दांव पर हैं। वोट के लिए हमें याद करने से ज्यादा काम की जरूरत है। हमें सुरक्षा चाहिए, न कि सिर्फ बयानों में संवेदना।” कुछ बुजुर्गों ने कहा कि पिंजरा लगाने के विकल्प पर काम किया जा रहा है, पर वे डरते हैं कि यह कैसे और किस समय तक प्रभावी होगा।
प्रशासन व वन विभाग से जनता की मांगें:
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प्रभावित परिवारों के लिए त्वरित और पारदर्शी मुआवजा — नुकसान का त्वरित आकलन कर वास्तविक मद मिलनी चाहिए।
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रहने के आस‑पास नियमित नाइट गश्त और घेराबंदी — ताकि गुलदार और अन्य वन्यजीवों का प्रवेश रोका जा सके।
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स्थायी रोकथाम योजना — जंगल‑मानव सीमा पर कांटेदार फेंसिंग/प्राकृतिक बाधाएँ, अलार्म सिस्टम और समुदाय‑आधारित निगरानी।
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पशुपालकों व ग्रामीणों के लिए प्रशिक्षित डिटेक्टिव टीम और आपातकालीन कॉल सेंटर/हॉटलाइन।
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किसानों/ग्रामवासियों के लिए जोखिम घटाने वाली जागरूकता कैंपेन और मवेशियों के सुरक्षात्मक शरणस्थान।
गाँववासियों ने चेतावनी देते हुए कहा कि बार‑बार के बयानों और मामूली मुआवजों ने लोगों का भरोसा तोड़ दिया है। यदि सरकार और स्थानीय प्रतिनिधि गंभीर कदम नहीं उठाते हैं, तो वे सशक्त प्रदर्शन या अन्य उग्र कदम उठाने पर मजबूर हो सकते हैं — जिसका जिम्मेदार परिणाम किसी के लिए अच्छा नहीं होगा।
अनुशंसाएँ (तत्काल प्रभाव के लिए):
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संबंधित अधिकारी तुरंत घटना का निष्पक्ष (forensic) अध्ययन कर पब्लिक रिपोर्ट जारी करें।
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प्रभावित परिवारों के साथ एक स्थानीय जनसुनवाई बुलाई जाए और उसकी रिकॉर्डेड कार्रवाई की रूपरेखा जनता के सामने आए।
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वन विभाग और स्थानीय प्रशासन मिलकर 72 घंटे के भीतर तात्कालिक सुरक्षा उपाय लागू करें — रात्री गश्त, पशु‑शरणस्थल और अलर्ट सिस्टम।
ढंगसयोली की गूँज साफ है — पहाड़ की जनता सिर्फ वोट नहीं, जीवन और सुरक्षा चाहती है। अब शासन‑प्रशासन की बारी है कि वे इस संकट को केवल बयानबाजी में न उलझाएँ, बल्कि ठोस काम करके जनता का भरोसा जीतें।












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