Big breking: दून विश्वविद्यालय भर्तियों को लेकर उक्रांद मुखर।सीएम और मुख्य सचिव को की शिकायत
जब पूरा उत्तराखण्ड बेरोजगारी की मार से कराह रहा है, जब उत्तराखण्ड का युवा एक-एक भर्ती के लिये रात-दिन मेहनत कर रहा है और भर्तियां एक के बाद एक पेपरलीक के कारण निरस्त हो रही है, तब ऐसे में कुछ संस्थान / विवि अपने चहेतो को लगाने के लिये नियमो को ताक में रखकर अवैध तरीके अजमा रहे हैं।
ऐसा ही एक मामला दून विवि का है, जिसमें कैसे दून विवि द्वारा एक पद के सापेक्ष व्यक्ति विशेष का चयन कर ही लिया था जिसे बाद में जांच की डर के कारण प्रक्रिया को रोकना पड़ा। दून विवि द्वारा फरवरी 2020 को जन सम्पर्क अधिकारी (PRO) का पद का विज्ञापन जारी किया गया। विवि द्वारा पद की योग्यता किसी मान्यता प्राप्त विवि से पत्रकारिता एवं जनसंचार में स्नातकोत्तर उपाधि एवं किसी विवि / शिक्षण संस्थान एवं राजकीय उपक्रम में पांच वर्षो का अनुभव अथवा समकक्ष पद पर कार्यरत का अनुभव मांगा था। तत्समय विवि द्वारा अभ्यर्थियों के लिये किसी भी प्रकार की आयु सीमा निर्धारित नही की जबकि सरकार द्वारा 42 वर्ष की आयु सीमा पूर्व निर्धारित है।
राज्य सरकार के उच्च शिक्षा अधीन एक और विवि श्रीदेव सुमन विवि द्वारा भी जन सम्पर्क अधिकारी के पद सापेक्ष एक विज्ञापन जारी किया गया। श्रीदेव सुमन विवि द्वारा 55 प्रतिशत अंको के साथ पत्रकारिता एवं जनसंचार में स्नातकोत्तर उपाधि अथवा जनसम्पर्क एवं विज्ञापन में स्नातकोत्तर डिप्लोमा मांगा गया । श्रीदेव सुमन विवि द्वारा अनुभव में सहायक जनसम्पर्क अधिकारी के रूप में वेतनमान9300-34800 ग्रेड पे 4200/- अथवा उच्च वेतनमान में कार्य करने का अनुभव मांगा था।
दोनो विज्ञापनो से सीधा पता चलता है कि कैसे दून विवि द्वारा योग्यता में बहुत ज्यादा शिथिलिकरण किया गया। दून विवि द्वारा केवल पांच वर्ष का अनुभव मांगा गया था यह स्पष्ट नहीं किया कि किस ग्रेड पे के सापेक्ष किस कार्य का अनुभव चाहिये। यह जानबूझ कर किया गया था। जब उत्तराखण्ड एवं समूचा देश का कोविंड के कारण लॉक डाउन था तब दून विवि के कुलसचिव श्री मंगल सिंह मन्द्रवाल जन सम्पर्क अधिकारी (PRO) के पद के लिये स्कूटनी करवा रहे थे। अप्रैल 2020 को दून विवि द्वारा स्क्रूटनी की लिस्ट जारी की गई। 6 अभ्यर्थियों को पद के सापेक्ष योग्य पाया गया। जारी सूची में 13 नम्बर के अभ्यर्थी जो पद के सापेक्ष योग्य पाया गया था उनका नाम श्री प्रवीण सिंह पुत्र श्री प्रताप सिंह था क्या यह संयोग मात्र है कि उत्तराखण्ड के एक कैबेनेट मंत्री के एक निकटतम सहयोगी एवं PRO का नाम भी प्रवीण सिंह है।
उत्तराखण्ड क्रान्ति दल के नेता शिव प्रसाद सेमवाल ने आरोप लगाया कि दून विवि द्वारा PRO का पद को व्यक्ति विशेष के लिये ही खोला गया था। उन्होने मुख्यमंत्री / उच्च शिक्षा विभाग एवं राजभवन से इस पूरे प्रकरण पर विजीलेन्स की जांच की मांग हेतु एक पत्र लिखा है कि क्या दोनो प्रवीण सिंह एक ही है क्यों दून विवि के कुलसचिव द्वारा बिना विवि के सेवा नियमावली के जनसम्पर्क अधिकारी का मानमाफिक विज्ञापन जारी किया गया जबकि समकक्ष उच्च शिक्षा अधीन श्रीदेव सुमन द्वारा विधिवत विज्ञापन जारी किया गया। दून विवि द्वारा अपने गठन 2005 से आज दिनांक तक किसी भी प्रकार की सेवा नियमावली नहीं पास करवाई है । इसी की आड़ लेकर दून विवि में के वर्तमान कुलसचिव पहले दून विवि में सहायक कुलसचिव बने फिर उपकुलसचिव और अन्त में कुलसचिव बने। अगर दून विवि द्वारा समय पर अपनी सेवा नियमावली बना दी गई होती तो किसी भी प्रकार इनका प्रमोशन न हो पाता।
यू.के.डी. नेता शिव प्रसाद सेमवाल ने यह भी आरोप लगाया कि दून विवि के कुलसचिव का स्थानान्तरण की फाइल मुख्यमंत्री कार्यालय मे विगत कई माह से लम्बित पड़ी है। अब किस रिश्तेदार / करीबी को दून विवि में किस लाभ लेने के लिये स्थानान्तरण का फाइल कर बैठे है यह भी जांच का विषय है। नही तो किसी मामूली स्थानान्तरण में महीनों का समय तभी लगता है जब कुछ लेनेदेन का विषय हो।
मंगल सिंह मन्द्रवाल लगभग 13 वर्षो से दून विवि में जमे हैं। स्थानान्तरण नियमावली को भी धता बता चुके हैं। प्रमोशन के समय जबकि अन्य दो कुलसचिव बनाये गये व्यक्तियों को अन्यत्र स्थानान्तरण किया गया और श्री मंगल सिंह मन्द्रवाल अपने मूल विभाग दून विवि में जमे रहे इससे उनकी राजनैतिक पहुंच और शासन प्रशासन का उनके सर पर हाथ स्पष्ट दिखाई देता है। सम्भवतः उनका सीनान्तरण न किये जाने के पीछे एक वजह यह भी है कि यहां जारी भर्तियों में मंत्री / सन्तरियों के भाई भतीजो को लगाया जा सके। उक्त PRO प्रकरण पर प्रवीण सिंह एवं दून विवि के कुलसचिव के आपसी गठजोड़ की भी जांच विजीलेन्स से की जानी आवश्यक है।
यू.के.डी. नेता शिव प्रसाद सेमवाल ने यह भी आरोप लगाया कि प्रवीण सिंह द्वारा जो अपने दस्तावेज दून विवि में जन सम्पर्क अधिकारी के पद सापेक्ष आवेदन के समय जमा किये उनकी जांच होनी चाहिये कि कैसे उनके द्वारा विवि / शिक्षण संस्थान में कार्य का 5 वर्ष का अनुभव दिखाया गया? श्री प्रवीण सिंह को चूंकि पद के सापेक्ष तत्समय योग्य माना गया था तो उनके द्वारा क्या किसी सरकारी विवि / शिक्षण संस्थान में कार्य किया गया था या किसी निजी संस्थान में कार्य का अनुभव दिखाया गया।
यू.के.डी. महिला मोर्चा की केंद्रीय अध्यक्ष सुलोचना ईष्टवाल ने आरोप लगाया कि इस पूरे प्रकरण पर दून विवि के खिलाफ राजभवन, मुख्यमंत्री को विभिन्न स्तरों पर पत्र लिखे गये जिससे डर कर दून विवि द्वारा इस पद को ठन्डे बस्ते में डाल दिया था लेकिन पुनः दिनांक 22 फरवरी 2023 को दून विवि द्वारा इस पद के सापेक्ष फिर से विज्ञापन जारी किया है। इस समय अधिकतम उम्र 42 वर्ष की गई है। इस बार विवि द्वारा लिखित परीक्षा का आयोजन किया जाना प्रस्तावित है।
यूकेडी नेता पंकज उनियाल ने आरोप लगाया कि इस बार भी व्यक्ति विशेष को लाभ देने हेतु ही इस पद का भी विज्ञापन जारी किया गया है। कुछ समय पूर्व भी दून विवि द्वारा 3 सहायक लेखाकार एवं एक सहायक अभियन्ता की परीक्षा करवाई थी जिसमें प्रश्नपत्र विवि द्वारा खुद ही बनाकर अन्दर ही छापे गये दोनो परीक्षाओं के 50 नम्बर के जी.के. एक जैसे थे। यदि विजीलेन्स की जांच हो तो दूध का दूध और पानी का पानी तय हो जायेगा । यू.के.डी. नेता आशीष नेगी ने कहा कि यदि कुलसचिव का तत्काल स्थानान्तरण नही किया जाता और इस पूरे प्रकरण की विजीलेन्स जांच नही की जाती तो उत्तराखण्ड क्रान्ति दल एक बड़े आन्दोलन को मजबूर होगा।
प्रेस वार्ता के दौरान यूकेडी नेता सुलोचना ईष्टवाल, पंकज उनियाल, आशीष नेगी , तथा राजेंद्र गोसाई भी मौजूद रहे।