संस्कृत संभाषण से गूंजी विधानसभा, मंत्रियों और विधायकों ने लिया प्रशिक्षण
विधानसभा के सत्र के दूसरे दिन एक ऐतिहासिक पल सामने आया जब विधानसभा भवन में संस्कृत में संवाद हुआ। यह पहल विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खण्डूडी भूषण और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में हुई, जिन्होंने संस्कृत को राज्य की द्वितीय राजभाषा के रूप में मान्यता देने का संकल्प लिया है।
मध्यान भोजन के बाद, जब सत्र की शुरुआत से पहले विधानसभा परिसर में संस्कृत में संवाद गूंजने लगा, तो यह एक नई दिशा का प्रतीक बन गया। संस्कृत शिक्षा विभाग और संस्कृत अकादमी के सहयोग से राज्य के सभी मंत्रियों और विधायकों को सरल संस्कृत संवाद का प्रशिक्षण दिया गया।
इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खण्डूडी भूषण ने संस्कृत की महत्ता को उजागर करते हुए कहा, “संस्कृत से ही भारत को विश्व गुरु बनने का मार्ग प्रशस्त होता है, और इसलिए हमारी सरकार ने संस्कृत को द्वितीय राजभाषा का दर्जा दिया है। हमें इसे अपनी दिनचर्या में शामिल करके इसका सम्मान करना चाहिए।”
शिक्षा एवं संस्कृत शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने भी अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा, “राज्य सरकार ने 13 गांवों को संस्कृत ग्राम के रूप में घोषित किया है, जहां प्रशिक्षकों की नियुक्ति की जा रही है जो ग्रामीणों को सरल संस्कृत संवाद सिखाएंगे। मैं संस्कृत शिक्षा विभाग के सभी अधिकारियों को इस प्रयास के लिए बधाई और शुभकामनाएं देता हूं।”
इस कार्यक्रम में संस्कृत उन्नयन समिति के अध्यक्ष और विधायक भरत चौधरी, कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल, सौरभ बहुगुणा, विधायक बृजभूषण गैरोला, सविता कपूर, उमेश कुमार, रेनू बिष्ट, सचिव दीपक गैरोला, निदेशक आनंद भारद्वाज, उपनिदेशक डॉ. चंडी प्रसाद घिल्डियाल, संस्कृत अकादमी के सचिव बाजश्रवा आर्य, पंकज पालीवाल सहित कई अन्य गणमान्य व्यक्ति विशेष रूप से उपस्थित रहे।