उत्तराखंड में लगातार बेटियों के लापता होने की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। बीते 5 महीने में उत्तराखण्ड के विभिन्न थानों में 305 बालिकाओं के लापता होने की रिपोर्ट दर्ज हुई।
वहीं इस अवधि में 109 किशोरों के लापता होने की शिकायतें भी आई हैं। यह खुलासा काशीपुर निवासी नदीम उद्दीन को पुलिस मुख्यालय से आरटीआई में प्राप्त सूचना में हुआ है। आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार, वर्ष 2023 के जनवरी से मई माह के बीच लापता तीन सौ से अधिक बालिकाओं में से 59 का अब तक पता नहीं चल पाया है। सभी की उम्र 18 वर्ष से कम बताई जा रही है। दो जिले जहां से सबसे ज़्यादा बेटियां गायब हुई हैं, वे हैं – देहरादून और हरिद्वार।
हरिद्वार जिले से सबसे ज्यादा 95 और देहरादून से 80 बालिकाएं लापता हुई हैं। वहीं कुमाऊं की बात करें तो ऊधमसिंह नगर से 49 और नैनीताल से 17 नाबालिग बेटियां लापता हुई हैं। किशोर भी सबसे ज्यादा हरिद्वार से ही गायब हुए हैं। हरिद्वार से 47 किशोर लापता हुए हैं। देहरादून से 16 और ऊधमसिंह नगर से 11 किशोर लापता हुए। कुल लापता हुए 109 किशोरों में से 94 को पुलिस ने बरामद कर लिया है। हरिद्वार से इस तरह के आंकड़े आना चिंताजनक है।भले उत्तराखंड की राजधानी ना हो, लेकिन यह क्राइम की राजधानी जरूर बनती जा रही है। वैसे हरिद्वार धर्म और अध्यात्म की राजधानी होनी चाहिए थी, लेकिन हरिद्वार में धड़ल्ले से हो रहे अपराध यहां की मान और मर्यादा को जरूर कलंकित कर रहे हैं। यूपी से जुड़ा होने की वजह से, अन्य जिलों की तुलना में यहां अपराध तेज़ी से बढ़ा है।