ब्यूरो न्यूज़ उत्तराखंड ब्रॉडकास्ट
बागेश्वर जनपद,कपकोट विधानसभा स्तिथ गांव सोराग के लोग पीएम मोदी के कतीथ अमृतकाल में भी काला पानी की सजा काटने को मजबूर हैं।
बताते चलें की बागेश्वर जिला मुख्यालय से लगभग 60 किलोमीटर दूर सोराग गांव स्तिथ हैं,गांव पिंडर घाटी में स्तिथ हैं यहां बहने वाली पिंडर नदी पर गांव पहुंचने के लिए 60 मीटर का पुल निर्माण होना हैं,जिसका कार्य वापकोस पी आई यू कपकोट को दिया गया हैं।
पिंडर नदी पर इस पुल को नियमानुसार 6 अक्टूबर 2022 को बनकर ग्रामीणों के आवागमन के लिए तैयार हो जाना था लेकिन अबतक तक ग्रामीण स्वयं के संसाधनों से प्रतिवर्ष लकड़ियों का अस्थाई पुल बनाकर जीवन यापन कर रहें हैं,जो हर बरसात में बह जाता हैं।
पुल ना होने के कारण आज भी सोरग वासी समय से इलाज के लिए अस्पताल नहीं पहुंच पाते, जब हम इस गांव में पहुंचे तो ग्रामीणों ने बताया पिछले सप्ताह एक गर्भवती महिला के गर्भ में पल रहें 7 माह के शिशु की मृत्यु हो गई क्योंकि जब देर रात महिला को दर्द हुआ तो समय से अस्पताल नहीं पहुंचाया जा सका,यहीं नहीं ग्रामीण कहते हैं पिछले वर्ष भी 40 वर्षीय एक व्यक्ति की अचानक तबियत बिगड़ जाने के कारण मरीज को कंधे से गांव के सड़क तक लाया गया जब ग्रामीण पिंडर नदी पार कर सड़क तक पहुंचे व्यक्ति ने दम तोड़ दिया।
जब इस पुल के संदर्भ में हमें निर्माणधीन पूल की कार्यदायी संस्था वापकॉस के जेई से बात की तो उन्होंने कहां की पीएमजीएसवाई द्वारा सड़क का कार्य किया जा रहा हैं और पुल निर्माण का सामान संस्था नहीं पहुंचा पा रहीं हैं।
यूं तो डबल इंजन की सरकार बड़े बड़े वादे करती हैं, यहां तक की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस दशक को उत्तराखंड का दशक बताते हैं लेकिन पहाड़ के हालात अलग हैं,यहां शिशु जन्म से पूर्व ही गर्भ में दम तोड़ देते हैं,मरीज डोलियों में दम तोड़ रहें हैं।
बड़ा सवाल ये हैं की जिस पुल का निर्माण 2022 में हो जाना था अब तक आधा भी नहीं बना तो ऐसे में सरकार के कपकोट जनप्रतिनिधि,जिले के जिम्मेदार अधिकारियों ने अबतक आखिर क्यों कंपनी पर कोई कार्यवाही नहीं की,आखिर इतने जिम्मेदार अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के बाद भी सोराग गांव वासी अमृतकाल में भी कालापनी की सजा भुगत रहें हैं।
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