ब्यूरो न्यूज़ उत्तराखंड ब्रॉडकास्ट
प्रत्येक नागरिक को अच्छा इलाज मिले इसकी जिम्मेदारी राज्य सरकार के कंधों पर होती है और शायद इसलिए ही अलग से सरकार मंत्रालय और मंत्री भी रखती,जिसे स्वास्थ्य मंत्रालय कहा जाता है और वर्तमान में स्वास्थ्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत है।
लेकिन लगातार सरकार द्वारा सरकारी संस्थाओं को निजी हाथों में देने की प्रक्रिया जारी है,उत्तराखंड के अंदर ऐसा लग रहा है स्वास्थ्य मंत्रालय मरीज को सुविधाओं देने के लिए नहीं बल्कि सभी सरकारी विभागों को निजी हाथों में सौंपने के लिए बनाया गया हो।
कुमाऊं के द्वार हल्द्वानी स्थित राजकीय मेडिकल कॉलेज द्वारा संचालित सुशीला तिवारी अस्पताल में बीते माह में पैथोलॉजी लैब को निजी हाथों में सौंप दिया गया था,यह कहा जा रहा था कि निजी हाथों में लैब जाने से मरीजों को फायदा मिलेगा,लेकिन कुछ समय बाद ही परेशानियां शुरू होने लगी कंपनी को रेट ठीक नहीं लग रहे थे अस्पताल में अव्यवस्थाएं भरपूर होने लगी।
लेकिन यही नहीं अस्पताल में निजी हाथों में सरकारी मशीनों को सौंपने का खेल भी इस सरकार में भरपूर चल रहा है,पहले यह कहा गया कि निजी कंपनी सुशीला तिवारी अस्पताल में ईसीजी टेस्ट करेगी,मरीजों की संख्या और दबाव अधिक होने के कारण या फैसला लिया गया लेकिन अब अस्पताल में रेडियोलॉजी विभाग में होने वाले एक्सरे अल्ट्रासाउंड आदि को भी निजी हाथों में सौंप दिया गया है।
दुर्भाग्य यह है कि इस अस्पताल में सिर्फ एक चिकित्सक को छोड़कर रेडियोलॉजी विभाग में टेक्नीशियन सहित पूरा स्टाफ है,लेकिन सरकार की विफलता देखिए एक चिकित्सक की नियुक्ति नहीं कर पाई और सरकारी व्यवस्था पूरी उठाकर निजी हाथों में सौंप दी।
राज्य सरकार द्वारा रामनगर स्थित सरकारी अस्पताल को भी निजी हाथों में सौंप दिया था उसके बाद लगातार हल्ला हुआ,यहां तक की स्वयं भाजपा के एक विधायक जब अपने किसी परिचय से मिलने अस्पताल पहुंचे तो वह भी अस्पताल के बाहर बैठ गए,उनका भी कहना था निजी हाथों में सरकारी अस्पताल देने से यहां की व्यवस्थाएं समाप्त हो चुकी है इसे तत्काल हटा देना चाहिए।
सवाल यह भी है कि यदि राज्य सरकार ही अपनी संस्थाओं को चलाने में नाकाम हो जाए तो फिर एक अलग से स्वास्थ्य मंत्रालय रखने का और एक अलग से स्वास्थ्य मंत्री रखने का क्या मतलब रह जाता है।
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