सुशीला तिवारी के बाहर खड़ी एंबुलेंस संचालकों की गुंडागर्दी,नंबर के नाम पर लूटे जा रहें रात में मरीज प्रशासन ले संज्ञान
ब्यूरो न्यूज़ उत्तराखंड ब्रॉडकास्ट
नागरिकों के स्वास्थ्य संबंधी जुड़ी सभी सुविधाएं अब व्यापक व्यापार में बदल चुकी है,मानवता अस्पताल के बाहर ही दम तोड़ती नजर आ रही है या यू कहें की जिन लोगों के हाथ में मरीज को अच्छे इलाज के लिए एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल पहुंचाने की जिम्मेदारी है वही सबसे पहले मरीज के तीमारदार के लिए लुटेरे डाकू बन चुके हैं।
ताजा मामला हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल के बाहर खड़ी होने वाली एम्बुलेंस गाड़ियों से जुड़ा है और जुड़ा है इनके तानाशाह और अमानवीय संचालकों से।
सुशीला तिवारी अस्पताल के बाहर रोड पर देर रात का बना एक यह वीडियो देखिए बताया जा रहा है उक्त पीड़ित महिला पिथौरागढ़ से हल्द्वानी अपने एक मरीज को लेकर पहुंची है और यहां इलाज न मिलने के कारण उसे हायर सेंटर बरेली श्री राम मूर्ति अस्पताल रेफर किया गया है,उक्त महिला अपने परिचितों को फोन कर हल्द्वानी से एक एंबुलेंस की व्यवस्था राममूर्ति मरीज को ले जाने के लिए करती है तो वहां पर एंबुलेंस पहुंचने पर बाहर खड़ी एंबुलेंस के संचालक भड़क उठते हैं और वह गुंडागर्दी दिखाने लगते हैं जिसमें मरीज का लंबा समय बर्बाद होता हैं जबकि उसे तत्काल अच्छे इलाज की आवश्यकता होती हैं।
उन संचालकों का कहना है कि यहां पर गाड़ियां नंबर से जाती हैं और जब हम मरीज को अपने हिसाब से छोड़ते हैं तो तुम बाहर से एंबुलेंस लेकर हमारे रेट क्यों खराब करते हो,इस मामले में बताया जा रहा है महिला ने ₹3000 में एम्बुलेंस राम मूर्ति जाने के लिए कर ली थी जबकि बाहर खड़े यह एंबुलेंस संचालक ₹5000 की मांग कर रही थे,ऐसे में एंबुलेंस पहुंचने पर यह सब संचालक इकट्ठे हो गए और दादागिरी में उतर आए।
इस मामले का संज्ञान लेते हुए देवभूमि एंबुलेंस सेवा समिति ने सुशीला तिवारी अस्पताल के बाहर खड़ी होने वाली सभी एंबुलेंस की जांच करने और उनके रेट तय करने साथ ही उनकी गुंडागर्दी को लेकर कार्यवाही हेतु आरटीओ हल्द्वानी को पत्र लिखा है और साथ ही समिति अध्यक्ष राज कंबोज ने उत्तराखंड ब्रॉडकास्ट को बताया कि सुशीला तिवारी अस्पताल के बाहर खड़े एंबुलेंस संचालक अपनी यूनियन जैसी बनाकर वहां आए मरीजों को खुला लूट रहे हैं ,साथ ही शहर के अन्य एंबुलेंस संचालक यदि सुशीला तिवारी अस्पताल किसी मरीज को लेने पहुंचते हैं तो उन्हें डराने धमकाने लगते हैं,यह खुला खेल हो रहा है जिसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता और इन पर कार्रवाई को लेकर यूनियन कल नगर मजिस्ट्रेट से मुलाकात भी करेगी,किसी भी एंबुलेंस ड्राइवर का इस तरह से उत्पीड़न स्वीकार नहीं किया जाएगा और ना ही अस्पताल के बाहर खड़े होकर इस तरह मरीजों को लूटने दिया जाएगा।
इस तरह के कृत्यों से शहर के अन्य सभी एंबुलेंस ड्राइवर संचालकों की छवि को नुकसान पहुंचता है।
सवाल यह हैं की आखिर क्या हल्द्वानी के भीतर रात में पूरा प्रशासन गहरी नींद में रहता हैं,क्या इस तरह मरीजों को खुला लूटना स्वास्थ्य के मौलिक अधिकार के तहत अपराध नहीं हैं,और मरीज इस बात के लिए स्वतंत्र हैं और अधिकार रखता हैं की वह किस एंबुलेंस का प्रयोग करें।
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