फर्जी रिकॉर्ड से बदल दिए गए असली अभिलेख
पूर्व आईएएस अधिकारी सुरेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता वाली एसआईटी को जांच के दौरान पता चला कि कई जिल्दों (वॉल्यूम) से मूल पृष्ठ हटाकर उनमें फर्जी रिकॉर्ड जोड़े गए हैं। फॉरेंसिक विशेषज्ञों ने भी पुष्टि की है कि यह बड़े पैमाने पर किया गया संगठित घोटाला हो सकता है।
हालांकि, एसआईटी का चौथा कार्यकाल 28 फरवरी को समाप्त हो गया है। अब तक की गई जांच और नए खुलासों की रिपोर्ट सरकार को सौंप दी गई है। इस मामले में आगे की कार्रवाई सरकार द्वारा ही की जाएगी।
हजारों दस्तावेजों में हो सकती है गड़बड़ी
रजिस्ट्रियों का रिकॉर्ड जिल्दों में संकलित किया जाता है, जिससे पुरानी से पुरानी रजिस्ट्री को आसानी से खोजा जा सकता है। लेकिन जब जिल्दों में ही छेड़छाड़ कर दी जाए, तो रिकॉर्ड की सत्यता की पुष्टि करना बेहद मुश्किल हो जाता है। इस नए खुलासे के बाद आशंका जताई जा रही है कि बड़ी साजिश के तहत ही इन महत्वपूर्ण दस्तावेजों में हेरफेर किया गया है।
चार कार्यकालों में 378 शिकायतें, 70 मामलों में एफआईआर
जुलाई 2023 में जब यह घोटाला पहली बार सामने आया था, तब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर पुलिस की एसआईटी बनाई गई थी। इसके बाद, स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन विभाग के अंतर्गत अलग से एसआईटी गठित की गई, ताकि जनता से सीधे शिकायतें लेकर कार्रवाई की जा सके।
एसआईटी के चार कार्यकालों में कुल 378 शिकायतें दर्ज की गईं, जिनमें से 110 मामलों में एफआईआर की संस्तुति की गई। पुलिस ने अब तक 70 एफआईआर दर्ज कर ली हैं, जबकि अन्य मामलों में जांच जारी है।
जुलाई 2023 में हुआ था बड़े घोटाले का खुलासा
देहरादून में रजिस्ट्री घोटाले का मामला पहली बार जुलाई 2023 में सामने आया था। इसमें कई नामी वकीलों, प्रॉपर्टी डीलरों और भूमाफियाओं की मिलीभगत से सब-रजिस्ट्रार कार्यालय के रिकॉर्ड में हेरफेर किए जाने की पुष्टि हुई थी। इस दौरान कई महत्वपूर्ण सरकारी दस्तावेज भी गायब कर दिए गए थे।
मुख्यमंत्री के सख्त रुख के बाद मामले की जांच के लिए दो एसआईटी गठित की गई थीं। इनमें से एक पुलिस विभाग की थी और दूसरी स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन विभाग के अंतर्गत कार्य कर रही थी।
ईडी की भी कार्रवाई, करोड़ों की संपत्ति जब्त
रजिस्ट्री घोटाले की गंभीरता को देखते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी जांच शुरू की थी। अगस्त 2024 में ईडी ने उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब और असम में छापेमारी कर 18 ठिकानों पर कार्रवाई की थी। इस दौरान 95 लाख रुपये नकद, सोने-चांदी के आभूषण और करोड़ों की संपत्ति के दस्तावेज जब्त किए गए थे।
रजिस्ट्रियों की वैधता को लेकर उठे सवाल
इस मामले में कोर्ट की भूमिका भी अहम मानी जा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि किसी भी रजिस्ट्री को अवैध घोषित करने या उसे निरस्त करने का अधिकार सिविल कोर्ट के पास है। अब तक पुलिस ने किसी भी मामले को सिविल कोर्ट के समक्ष नहीं रखा है, जिससे कानूनी प्रक्रिया में जटिलता बढ़ सकती है।
क्या यह घोटाला 2023 से भी बड़ा है?
नए खुलासे के बाद इस आशंका को भी बल मिल रहा है कि हालिया पकड़ा गया रजिस्ट्री घोटाला, जुलाई 2023 में सामने आए घोटाले से भी बड़ा हो सकता है। सरकार इस पर किस तरह की कार्रवाई करती है, यह आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा।