देहरादून स्थित राजकीय दून मेडिकल कॉलेज की मान्यता को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। कॉलेज में एमबीबीएस और पीजी छात्रों के लिए फॉरेंसिक अध्ययन और पोस्टमार्टम हाउस की सुविधा जरूरी है, लेकिन अब तक इसे उपलब्ध नहीं कराया गया है।
नगर निगम की भूमि पर मेडिकल कॉलेज की नजर?
कॉलेज प्रशासन ने नगर निगम से देहराखास, पटेल नगर स्थित पुरानी पशुवधशाला की भूमि और भवन को मेडिकल कॉलेज को हस्तांतरित करने की मांग की है, ताकि वहां आधुनिक पोस्टमार्टम हाउस स्थापित किया जा सके।
फॉरेंसिक विभागाध्यक्ष का पत्र क्यों हुआ चर्चा में?
दून मेडिकल कॉलेज के फॉरेंसिक विभाग प्रमुख डॉ. नीरज कुमार ने नगर आयुक्त को पत्र लिखकर इस मुद्दे की गंभीरता पर प्रकाश डाला है। उन्होंने कहा कि पोस्टमार्टम हाउस न केवल मेडिकल छात्रों की पढ़ाई के लिए जरूरी है, बल्कि पुलिस, न्यायालय और राज्य की जांच एजेंसियों के लिए भी अहम भूमिका निभाता है।
एनएमसी के नियमों का हो रहा उल्लंघन?
गौरतलब है कि 2016 में स्थापित दून मेडिकल कॉलेज में अब तक समर्पित पोस्टमार्टम हाउस नहीं बनाया गया है। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) के नियमों के अनुसार, हर मेडिकल कॉलेज में पोस्टमार्टम हाउस और फॉरेंसिक सुविधाएं अनिवार्य हैं। इन मानकों का पालन न होने से कॉलेज की मान्यता खतरे में पड़ सकती है।
अब क्या होगा?
इस मुद्दे पर पहले भी कई बार पत्राचार हो चुका है, लेकिन अब तक कोई ठोस समाधान नहीं निकला। अब सवाल यह है कि नगर निगम इस मांग पर कब तक निर्णय लेता है और क्या दून मेडिकल कॉलेज की मान्यता बचाने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाते हैं या नहीं?